Alien On Moon: भारत का चंद्रयान-3 कल यानी 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतर गया. ये कोई पहली बार नहीं है जब कोई अंतरिक्षयान चांद की सतह पर पहुंचा हो. लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश है. इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस अपने मून मिशन को पूरा कर चुके हैं. लेकिन 20 जुलाई 1969 वो तारीख है जब किसी इंसान ने चांद की सतह पर कदम रखा था. दरअसल, इस तारीख को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अपोलो मून मिशन चांद पर पहुंचने में सफल हुआ है जो एक ह्यूमन मिशन था. जिसके तहत पहली बार इंसान ने चांद पर पहुंचा. चांद पर पहुंचने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग पहले अंतरिक्ष यात्री थे, उन्होंने ही चांद पर पहला कदम रखा था. इस मिशन के सफल होने के बाद अमेरिका ने चांद पर पांच अभियान भेजे थे, जिसमें आखिरी अभियान 1972 को भेजा गया. उसके बाद अमेरिका ने चांद पर इंसानों के भेजने के सिलसिला रोक दिया.
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1972 के बाद चांद पर नहीं गया कोई इंसान
1972 के बाद चांद पर कई मिशन भेजे गए, लेकिन इस साल के बाद किसी देश ने चांद पर इंसान को नहीं भेजा. ये बात हैरान कर देना वाली है क्योंकि टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस युग में किसी भी देश ने चांद पर इंसान को भेजने की हिम्मत नहीं की. जबकि आज से 53-54 साल पहले इंसान को चांद पर भेजा गया था. दरअसल, सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि अपोलो 11 मिशन यानी चंद्रमा पर सबसे पहले इंसानों के पहुंचने की रिकॉर्डिंग गायब हो गई. इस रील्स में चांद पर घूमने तक से लेकर वापस आने और चांद के वीडियो शामिल थे. लेकिन इसके रॉ टेप्स गायब हो गए. इसके बाद माना गया कि चांद पर एलियन की मौजूदगी है.
ऐसा माना जाता है कि गायब हुए टेप्स में कुछ ऐसा था, जिससे चंद्रमा की सच्चाई के बारे में दुनिया को पता चल सकता था. ये भी कहा गया कि चंद्रमा पर शायद कुछ अलग था या वहां पर एलियंस रह रहे हों. यही नहीं बात ये भी की गईं कि चांद पर घूमने वाले अंतरिक्ष यात्रियों से एलिएंस से मुलाकात की थी. क्योंकि उस वक्त किसी भी चीज का लाइव टेलीकास्ट नहीं दिखाया जाता था, बल्कि रॉ फुटेज को एडिट करने के बाद दिखाया जाता था. ऐसा कहा जाता है कि अमेरिका ने असली टेप को छिपा दिया और जितना जरूरी था उतना ही दिखाया. थ्योरिस्ट का कहना है कि चंद्रमा के बहुत छोटे हिस्सों के बारे में हम पता लगा पाए हैं. सच में भीतर से बहुत खोखला है और वहां पर गहरे गड्ढों में दूसरी सभ्यता निवास करती है.
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सुनाई दी थी अलग-अलग आवाजें
बताया जाता है कि अपोलो मिशन के दौरान चंद्रमा के अंदर की हलचल के बारे में जानने के लिए सिस्मोमीटर फिट किया गया था. इस दौरान सतह से 20 से 30 किलोमीटर नीचे कुछ ऐसा महसूस हुआ जिसने सभी को हैरान कर दिया. क्योंकि इस दौरान वहां अलग तरह की आवाजें सुनाई दे रही थीं, जैसे नीचे कोई घंटी बज रही हो. ऐसी आवाजें अक्सर खोखली या कम डेन्सिटी वाले स्थानों पर आती हैं. इसलिए ये सवाल उठे कि आखिर चांद के खाली भाग में क्या हो सकता है. लेकिन आज तक इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं मिली.
HIGHLIGHTS
- पहली बार 1969 में चंद्रमा पर पहुंचा था इंसान
- चांद पर आखिरी बार 1972 में भेजा गया ह्यूमन मिशन
- नासा ने भेजा था चांद पर ह्यूमन मिशन
Source : News Nation Bureau