इंसान को आबाद और बर्बाद करने में हालातों की बड़ी भूमिका होते हैं. हालांकि, कई बार लोग अच्छे हालातों के बावजूद बर्बाद हो जाते हैं और कई लोग बुरे हालातों के आगे भी हार नहीं मानते और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते रहते हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया. हालांकि, उस बच्चे ने हालातों के सामने घुटने नहीं टेके और अपने लक्ष्य पर आगे बढ़ता चला गया और आज अपनी ड्रीम जॉब कर रहा है. जी हां, हम मणिकंदन की बात कर रहे हैं जो तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में रहते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मणिकंदन तब दूसरी कक्षा में पढ़ते थे, जब उनके पिता का देहांत हो गया था. पिता के निधन के बाद मणिकंदन के परिवार की स्थिति काफी खराब हो गई. मणिकंदन की मां के पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वे अपने जिगर के टुकड़े को समय से दो वक्त की रोटी भी दे पाएं. घर की स्थिति को देखते हुए मणिकंदन की मां ने उन्हें अनाथालय भेज दिया. जिसके बाद अनाथालय ने मणिकंदन का स्कूल में एडमिशन भी करा दिया. गरीबी में जीवन काट रहीं मणिकंदन की मां हमेशा उनसे मिलने के लिए अनाथालय और स्कूल जाया करती थीं. एक दिन उनकी मां ने भी कठोर जीवन से हार मान ली और आग लगाकर आत्महत्या कर ली. उस वक्त मणिकंदन 7वीं कक्षा में थे.
पिता के बाद मां के गुजर जाने के बाद मणिकंदन पूरी तरह से टूट चुके थे, लेकिन उन्होंने परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेके और भविष्य को संवारने में जुट गए. वे बचपन से ही पुलिस डिपार्टमेंट में जाना चाहते थे. अपने लक्ष्य के प्रति मणिकंदन की मेहनत और जुनून को देखते हुए अनाथालय के केयर टेकर परिभास्कर ने उनका खर्च उठाने के लिए एक डॉक्टर को मना लिया. जिसके बाद उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई-लिखाई शुरू कर दी. लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हुए मणिकंदन ने क्रिमिनोलॉजी से ग्रेजुएशन किया और साल 2017 में सशस्त्र रिजर्व बल में नौकरी के लिए आवेदन किया और उनका चयन भी हो गया.
उन्होंने 13000 उम्मीदवारों के बीच 423वां स्थान हासिल किया और पुलिस की नौकरी प्राप्त कर ली. रिपोर्ट्स के मुताबिक वे अभी अंबत्तूर औद्योगिक क्षेत्र पुलिस स्टेशन में तैनात हैं. मणिकंदन ने अपनी इस सफलता के लिए अनाथालय और परिभास्कर का आभार जताया. हालांकि, वे इस बात से काफी दुखी हैं कि उनकी सफलता देखने के लिए उनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं.
HIGHLIGHTS
- तमिलनाडु के रहने वाले हैं मणिकंदन
- बचपन में ही चल बसे थे माता-पिता
- अनाथालय की मदद से मिली सफलता