वैसे तो शादी के दिन दूल्हा-दूल्हन को ढेरों उपहार मिलते हैं. कोई घड़ी देता है तो कोई फ्रीज, कोई गुलाब का बुके तो कोई रिंग. लेकिनमिले तो इसे आप क्या कहेंगे. जी दरअसल एक संस्था विगत 8 वर्षों से कोटा संभाग में नैत्रदान-अंगदान-देहदान जागरूकता के लिये कार्य कर रही है और इसी संस्था से जुड़े टिंकू ओझा का विवाह, ग्राम मुंडियर में सम्पन्न हुआ.
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विवाह से पूर्व ही सभी रिश्तेदारों व आने वाले मेहमानों को शादी के कार्ड के माध्यम से यह संदेश दिया था कि यदि आपको नव-दंपत्ति को कुछ उपहार ही देना है तो, अपना नेत्रदान-अंगदान-देहदान का संकल्प-पत्र भरकर दूल्हे-दुल्हन को भरकर सौंपे। जहां शहरी क्षेत्र के लोगों में अंगदान के प्रति जागरूकता का प्रतिशत बहुत कम है, वहां ग्रामीण क्षेत्र में नेत्रदान-अंगदान-देहदान की बात करने पर कई लोगों ने शादी में आने के लिये ही मना कर दिया.
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उनको यह भी डर था कि कहीं ऐसा न हो कि संकल्प पत्र भरने के बाद नेत्रदान-अंगदान करना जरूरी ही हो जायेगा. लोगों की ऐसी सोच के कारण ऐसा लगने लगा था कि शादी का रंग कहीं फीका न पड़ जाये. इस पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के 5 सदस्यों की टीम मुंडियर गांव में पहुंची, उन्होंने शादी के एक दिन पहले से गांव के वृद्धजनों को साथ लेकर एक एक घर में जाकर नेत्रदान-अंगदान की उपयोगिता व जागरूकता के बारे में विस्तार से बताया.
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शाम को संस्था द्वारा लगाये गये शिविर में गांव के सभी वर्ग के लोगों ने अंगदान के संकल्प पत्र भरे. करीब 35 से ज्यादा लोगों ने अंगदान,110 लोगों ने नेत्रदान व 3 वृद्ध जनों ने देहदान के लिये अपनी सहमति प्रदान की. बारातियों ने अपने रिश्तेदारों को भी इस ने कार्य के बारे में बताया तो वहाँ भी 30 लोगों ने अपने नैत्रदान के संकल्प पत्र भरे. दूल्हे टिंकू ओझा व दुल्हन तृप्ति ने समाज के 2000 से अधिक लोगों के बीच फेरे से पहले अंगदान का संकल्प पत्र भरा.
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टिंकू का कहना था कि उनकी माँ विद्या देवी की मृत्यु के बाद उस दुखः के माहौल से यह नेक काम ही मुझे निकाल सका है. उनकी याद में यह काम में ताउम्र संस्था के साथ मिलकर करता रहूंगा. नयी दुल्हन तृप्ति को विवाह से पूर्व ही पता था कि उनके होने वाले पति नैत्रदान-अंगदान के क्षेत्र में काम कर रहे है,उनके इस काम से वह स्वयं भी खुश है। तृप्ति के माता पिता ने भी अपने बेटी दामाद के काम पर गर्व है.
Source : News Nation Bureau