लोग बेशक कहते हैं कि हम घोर कलयुग में जी रहे हैं, लेकिन यकीन मानिए इस घोर कलयुग में ईमानदारी और इंसानियत अभी भी जिंदा है. जी हां, ईमानदारी का एक बेहद ही जबरदस्त मामला सामने आया है. तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से सामने आए इस मामले ने देशभर में गजब वाहवाही बटोरी और बटोर भी रहा है. दरअसल करीब चार दिन पहले हैदराबाद में ऑटो चलाने वाले जे.रामुलू (30) के ऑटो में दो भाई बैठे थे. दोनों घर बनवाने के सिलसिले में 10 लाख रुपये लेकर जा रहे थे. उन्हें गचिबावली उतरना था, लेकिन ऑटो से उतरते वक्त वे अपना 10 लाख रुपये से भरा बैग लेना भूल गए. के.प्रसाद और के.किशोर को गचिबावली छोड़ने के बाद रामुलू वहां से निकल गए. हैदराबाद के जुबली बस अड्डे पहुंचने पर रामुलू की नजर पीछे सीट पर पड़े बैग पर पड़ी. रामुलू ने जब बैग खोलकर देखा तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. रामुलू ने बताया कि रुपयों से भरा बैग देखकर वह काफी डर गए थे.
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रामुलू को अंदाजा लग गया कि वह बैग उन्हीं दो सवारियों का होगा, जिन्हें उन्होंने गचिबावली में ड्रॉप किया था. रामुलू ने तुरंत अपना ऑटो घुमाया और सीधे गचिबावली जा पहुंचे. वहां पहुंचते ही उन्होंने देखा कि दोनों सवारी पुलिस के साथ वहां खड़े थे. रामुलू ने सवारियों के पास अपना ऑटो लेकर पहुंचे और उन्हें उनके पैसे लौटा दिए. के.प्रसाद और के.किशोर ने बताया कि वे सिद्दीपेट में किराने की दुकान चलाते हैं. कुछ समय पहले उनके पैर में गंभीर चोट आ गई थी. ऑटो से उतरते वक्त उनके पैर में काफी तेज दर्द उठा, जिसकी वजह से उनका ध्यान पैसों से हट गया था. यही वजह थी कि वे अपना पैसों से भरा बैग लेना भूल गए थे.
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वहीं दूसरी ओर रामुलू ने बताया कि वह ऑटो चलाकर रोजाना करीब 500 रुपये तक कमा लेते हैं. रामुलू की पत्नी मजदूरी का काम करती हैं. रामुलू ने बताया कि उन्होंने ऑटो खरीदने के लिए 1.5 लाख रुपये का लोन लिया था, जिसे चुकाना अभी भी बाकी है. रामुलू ने कहा कि वे इन 10 लाख रुपयों से दो साल तक मौज की जिंदगी काट सकते थे, लेकिन वे ऐसी जिंदगी नहीं जीना चाहते थे. रामुलू ने कर्ज के बोझ तले दबे होने के बावजूद सवारी के 10 लाख रुपये लौटाकर ईमानदारी की बेमिसाल मिसाल कायम कर दी है. के.प्रसाद और के.किशोर ने रामुलू की ईमानदारी से खुश होकर उन्हें 10 हजार रुपये ईनाम के तौर पर दे दिए.
Source : Sunil Chaurasia