देश में मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है. महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भारी बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. वहीं, बिहार में भी मानसून आफत लेकर आता है. ऐसे में मधुबनी और पश्चिम चंपराण समेत कई जिलों में नदियों का पानी खतरे के निशान से ऊपर बहने लगता है. इस बीच पश्चिम चंपारण के रामनगर प्रखंड में बारिश से आई भयंकर बाढ़ ने गर्दी गांव में तबाही मचा रखी है. यह बाढ़ की वजह से भूमि का कटान हुआ है और 15 फीट गहराई की जमीन बह गई है. लेकिन, इस साल यह एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है.
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600 साल पुराना 100 फीट गहरा कुआं
दरअसल, यहां भयंकर बाढ़ के बावजूद भी एक 600 साल पुराना 100 फीट गहरा कुआं टस से मस न हुआ और अपनी जगह पर टिका रहा. यह कुआ एक मजबूत व ईमानदार विरासत की अमर कहानी भी है. यही नहीं इस कुए को लेकर पहले भी तरह-तरह की चर्चाएं और कहानियां बताई जाती रहीं थी. लेकिन अब इसकी ऊंचाई चर्चा का विषय बना हुआ है. जानकारी के मुताबिक 15 जून के पहले कुआ जमीन की सतह से लगभग ढाई-तीन फीट ऊंचा दिखाई देता था, लेकिन अब बाढ़ में जमीन बहने के कारण कुए की दीवार 15 फीट तक साफ दिख रही है.
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कुएं का किनारा अंदर लकड़ी से बंधा था
98 साल के ग्रामीण ने कुए के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आजादी से पहले कुएं का किनारा अंदर लकड़ी से बंधा था. लेकिन सरकार ने बाद में 100 फीट गहरे कुएं में पक्काप्लास्टर करवाया दिया था. बताया जा रहा है कि बारिश की वजह से हरहा नदी में बाढ़ आने से 15 फीट जमीन को अपने साथ बहा ले गई. बाढ़ ने यहां ऐसी तबाही मचाई कि गांव के सैकड़ों घर पानी में बह गए. क्या रास्ता और क्या पेड़ पौधे सबकुछ तहस-नहस हो गए, अपनी जगह अटल रहा तो बस यह कुआं.
HIGHLIGHTS
- पश्चिम चंपारण के रामनगर प्रखंड में बारिश से आई भयंकर बाढ़ ने गर्दी गांव में मचाई तबाही
- बाढ़ की वजह से भूमि का कटान हुआ है और 15 फीट गहराई की जमीन बह गई
- भयंकर बाढ़ के बावजूद भी एक 600 साल पुराना 100 फीट गहरा कुआं टस से मस न हुआ