भारत सरकार के नियमों के मुताबिक नौकरीपेशा लोगों को जरूरतों के हिसाब से साप्ताहिक छुट्टियों के अलावा सिक लीव, कैजुअल लीव, प्रिविलेज लीव, मैटरनिटी लीव आदि की सुविधाएं दी जाती हैं. इन अतिरिक्त छुट्टियों के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसे नहीं काटे जाते हैं. लेकिन कई बार देखा जाता है कि लोग जरूरतों के हिसाब से मिलने वाली इन छुट्टियों का गलत फायदा उठाते हैं. इसी कड़ी में बिहार से एक बेहद ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला टीचर लगातार 7 साल से मैटरनिटी लीव पर थी.
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जी हां, महिला के मुताबिक वह 7 साल में 7 बार प्रेगनेंट हुई थी जिसकी वजह से वह स्कूल आने में असमर्थ थी. कई सालों तक महिला टीचर की प्रेगनेंसी की खबर सुनते-सुनते स्कूल प्रशासन का माथा ठनक गया. जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने महिला की सच्चाई जानने के लिए जांच कराई तो सब दूध का दूध और पानी का पानी हो गया. जांच में सामने आया कि महिला इस दौरान एक बार भी प्रेगनेंट नहीं हुई थी और वह स्कूल को अपनी प्रेगनेंसी की झूठी जानकारी दे रही थी, ताकि वह मैटरनिटी लीव के तहत घर बैठे-बैठे सैलरी प्राप्त कर सके.
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आमतौर पर देखा जाता है कि नौकरीपेशा लोग 2-4 दिन की छुट्टी लेने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं. लेकिन बिहार के इस मामले ने सभी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. महिला की लगातार प्रेगनेंसी को लेकर की गई जांच की रिपोर्ट सामने आने के बाद स्कूल प्रशासन के होश उड़ गए. जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने राज्य के शिक्षा विभाग को महिला टीचर की जालसाजी की सूचना दी. लगातार 7 साल से बिहार सरकार को चूना लगा रही इस महिला टीचर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो