भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना चंद्रयान-3 को लॉन्च करने को लेकर बीते चार सालों से गुपचुप तरीके काम हो रहा है. इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर लैंड करने के बाद उसके पर्यावरण का अध्ययन करना है. इसके लिए इसरो ने एक रोवर को तैयार किया, जो चंद्रमा पर लैंड करने के बाद खास जानकारी के साथ वहां की तस्वीरें सामने लेकर आएगा. चंद्रयान 2 का नेतृत्व करने वाले और चंद्रयान 3 की तैयारियों का निरीक्षण करने वाले इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवान का कहना है कि इस अभियान में शत प्रतिशत सफलता प्राप्त होनी है.
ये भी पढ़ें: PM Modi In Varanasi: अब जे भी बनारस आई, त खुश हो के ही जाई... पीएम मोदी ने विपक्ष पर कसा तंज
गौरतलब है कि चंद्रयान-2 का मिशन 2019 में विफल हो गया था. अब करीब चार साल बाद चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर के सिवान का कहना है कि बीते वर्षों में अथक मेहनत की गई है. हमने पुरानी गलतियों से सीखा है. सबसे पहली और अहम बात यह है कि चंद्रयान 2 में लैंडिंंग फेज सफल नहीं रहा. वहीं ऑर्बिट मिशन आंशिक रूप से सफल रहा है. हमने डेटा एकत्र किया है, उस डेटा का गहनता से विश्लेषण किया गया है. समझने की कोशिश की गई कि वास्तव किस तरह की गलती हुई. अब हमने जो समस्या को देखा, उसके लिए सुधारात्मक कार्रवाई की गई.
इतना ही नहीं जहां पर मार्जिन कम था, वहां पर मजबूती के स्तर को बढ़ाया गया है. बीते वर्षों में बेहद बरीकी और गहनता से काम हुआ है. यह सुनिश्चित करने कोशिश की गई है कि सब कुछ सही हो. इस भरोसे से अब इसरो अगले मिशन ‘चंद्रयान 3’ की तैयारियों में जुटा रहा.
क्या रोवर या लैंडर में कोई बदलाव किया
एक सवाल पर के सिवन ने बताया कि समस्या को दूर करने के लिए कुछ सुधार किए गए हैं. हमने पहले से अधिक सुरक्षा उपाय किए हैं. मान लें कि एक सिस्टम विफल हो रहा है तो डेटा दूसरे सिस्टम में ट्रांसफर किया जा सकता है. डिप्रेशन लेवल को बढ़ाया गया है. हाई लैंडिंग का सामना करने के लिए लैंडर के लेग डिजाइन को भी संशोधित किया गया है.
Source : News Nation Bureau