मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर की पहचान देश के सबसे साफ सुथरे शहर के तौर पर है, अब यह पर्यावरण के मामले में भी अपनी पहचान बनाने जा रहा है. यहां हर रोज निकलने वाले कचरे से इतनी बायो सीएनजी बनेगी कि चार सौ यात्री गाड़ियों के ईंधन के तौर पर उपयोग में लाई जा सकेगी. इंदौर वह शहर है जो स्वच्छता का खिताब हासिल करने का पंच लगा चुका है. यहां कचरा घर-घर से एकत्रित तो किया ही जाता है साथ ही उसे मौके पर ही अलग-अलग अर्थात सूखा और गीला कचरा अलग कर लिया जाता है. इसके बाद इस कचरे के शमन की प्रक्रिया होती है.
इस शहर में लगभग छह लाख घर है और एक लाख 20 हजार प्रतिष्ठान व्यावसायिक हैं और औद्योगिक संस्थान भी हैं. लगभग छह हजार टन गीला कचरा निकलता है और यही कारण है कि यहां सीएनजी प्लांट स्थापित किया गया है. अनुमान है कि इस संयंत्र से औसतन प्रतिदिन 18 हजार किलो गैस बनेगी. नगर निगम की आयुक्त प्रतिभा पाल का कहना है कि कचरा के लिए बनाए गए संयंत्र से जहां निगम को आय होगी. वहीं इस संयंत्र से बनने वाली सीएनजी से लगभग चार सौ बसों को चलाया जा सकेगा. साथ ही इस सीएनजी की दर पांच रुपये किलो कम होगी.
उन्होंने आगे कहा कि इंदौर जहां स्वच्छता के मामले में नंबर एक है वहीं पर्यावरण के मामले में भी पहल हुई है. चार सौ डीजल से चलने वाली बसों को सीएनजी में बदला जाएगा. इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा.
HIGHLIGHTS
- इंदौर में चार सौ डीजल बसों को बदला जाएगा सीएमजी में
- कचरे से सीएनजी बनाई जाएगी, जो ईंधन बतौर होगा इस्तेमाल