उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा में पुलिस और अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. पुलिस द्वारा पंचानामा नहीं किए जाने के कारण मथुरा जिला अस्पताल में एक मजदूर का शव छह दिन तक पड़ा रहा. 6 जून को मजदूर की मौत हुई थी. 6 दिन बीत चुके थे, लेकिन पुलिस ने शव का पंचनामा तक नहीं किया. आखिरीकार शुक्रवार को दरोगा को शव का पंचनामा भरने के लिए भेजा गया. इस मामले में सबस आश्चर्यचकित कर देने बात यह रही है कि 6 जून को मजदूर की मौत हो जाने के बाद भी उसके परिजनों को 12 जून तक कोई सूचना तक नहीं दी गई थी.
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मृतक मजदूर 65 वर्षीय गनपत छत्तीसगढ़ का रहने वाला था. मथुरा जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरएसएस मौर्य के अनुसार, गनपत 26 मई को एक राह चलते व्यक्ति को वृन्दावन-छटीकरा रोड पर कृष्णा कॉलोनी के निकट बेहोश पड़ा मिला था. गनपत यहां मजदूरी करता था. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि जिस दिन (छह जून) उसकी मौत हुई थी, जिला अस्पताल ने शहर कोतवाली को उसी दिन इसकी सूचना दे दी थी. वहां से संबंधित थाने को जानकारी देने की जिम्मेदारी उन्हीं की थी.
डॉ. आरएसएस मौर्य ने कहा कि पुलिस ने जब 6 दिन तक भी संज्ञान नहीं लिया, तो पुलिस को इस मामले के बारे में फिर से सूचित कराया गया. डॉ. आरएसएस मौर्य ने अपनी सफाई में इस प्रकरण में जिला अस्पताल को सही सिद्ध कर दिया. मगर जिला अस्पताल या पुलिस द्वारा मृतक के परिजनों को 12 जून तक कोई सूचना नहीं दी गई थी.
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इस मामले पर वृन्दावन के कोतवाल संजीव दुबे की भी मानें तो छत्तीसगढ़ के व्यक्ति की मौत के संबंध में उन्हें मथुरा शहर कोतवाली पुलिस ने कोई जानकारी नहीं दी थी. शुक्रवार को जानकारी मिलने पर दरोगा को शव का पंचनामा भरने के लिए भेजा गया. साथ में मृतक के परिजनों को सूचना दी गई. उधर, शहर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक अवधेश प्रताप सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और वह थाने के स्टाफ से जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता सकेंगे.
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Source : News Nation Bureau