Dhanushkodi: हमारा देश देवी-देवताओं की भूमि माना जाता है. इसीलिए आपको हर जगर मंदिर मिल जाएंगे. इसके साथ ही देश में कई ऐसे स्थान मौजूद हैं जो पौराणिक होने के साथ-साथ रहस्यमयी भी हैं. आज हम आपको अपने देश के एक ऐसे ही स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जो पौराणिक इतिहास से संबंध रखता है लेकिन यहां पहुंचने वाले लोगों को अदृश्य शक्तियों की अनुभूति होती है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित धनुषकोटि के बारे में.
ये भी पढ़ें: 50 करोड़ साल पुरानी मानी जाती है ये पहाड़ी, जो रोजाना सुबह से शाम तक बदलती रहती है रंग
जिसका संबंध रामायण से भी माना जाता है और इसके बारे में रामायण में बताया गया है. इसीलिए इस स्थान के धार्मिक और पवित्र माना जाता है. इसीलिए हर साल लाखों लोग यहां पहुंचते हैं. जिन्हें यहां अजीबोगरीब अहसास होता है. तमिलनाडु के पूर्वी तट पर स्थित रामेश्वरम द्वीप के दक्षिण में स्थित ये छोटा सा गांव है. जहां से श्रीलंका नजर आने की बात कही जाती है.
कैसे पड़ा इस गांव का नाम धनुषकोटि
ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम ने लंका पर विजय पा ली और रावण का वध कर दिया तो लंका शासन विभीषण को सौंप दिया. जब विभीषण लंका के राजा बन गए तो उन्होंने प्रभु राम से निवेदन किया कि वे लंका तक आने वाले रामसेतु को तोड़ दें. राम ने विभीषण के निवेदन को स्वीकार कर लिया और अपने धनुष के एक छोर से सेतु को तोड़ दिया. तभी से उस स्थान का नाम धनुषकोटि पड़ गया. धनुषकोटि ही आज भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है.
ये भी पढ़ें: Delhi NCR में बिका 100 करोड़ का फ्लैट! जानें क्या है खासियत...
रावण को एक नकारात्मक शक्ति के रूप में जाना जाता है, हालांकि वह एक महान ज्योतिषशास्त्री और शिव भक्त था. धनुषकोटि के विषय में यह कथा प्रचलित है कि रावण से युद्ध में विजय के पश्चात भगवान राम ने ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए यहीं पर यज्ञ किया था.
धनुषकोटि को माना जाता है भूतिया
धनुषकोटि धार्मिक स्थलों के रूप में सबसे पवित्र स्थान है लेकिन इसे भूतिया स्थान के रूप में भी जाना जाता है. यहां आने पर लोग प्रेत-आत्माओं को महसूस किए जाने की बात करते हैं. इन दावों के पीछे का कारण 1964 में यहां आया भयंकर चक्रवात है. जिसने धनुषकोटि की खूबसूरती को हमेशा के लिए बदल दिया. दरअसल, यहां 1964 में भयंकर चक्रवात आया था. इस दौरान 20 फीट की ऊंची लहरें उठी और उसने पूरे शहर को तबाह कर दिया. जिसमें यहां रहने वाले करीब 1800 लोगों की मौत हो गई.
ये भी पढ़ें: इस गांव के लोग मंदिर में ही करते हैं शादी, 350 साल से चली आ रही है परंपरा
आपदा के बाद शुरू हुई अजीबोगरीब हरकतें
ऐसा कहा जाता है कि इस आपदा के बाद धनुषकोटि में अजीबोगरीब हलचलें होने लगीं. लोगों का कहना है कि इस स्थान पर हमेशा किसी के होने का आभास होता है. इसीलिए तमिलनाडु सरकार ने इस स्थान को भूतिया करार दिया और यहां इंसानों के रहने पर रोक लगा दी. अब इस स्थान पर सूरज ढलने के बाद किसी के भी ठहरने पर प्रतिबंध है.
Source : News Nation Bureau