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डॉक्टरों ने एक जीवित इंसान को मृत घोषित कर दिया जानिए उसके बाद क्या हुआ

अचानक शव पर पड़ी चादर में हरकत हुई तो घर वाले हैरत में पड़ गए. उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था. तत्काल पड़ोस के डॉक्टर बुलाया गया. चेकअप हुआ तो पल्स और ऑक्सीजन लेवल दोनों ठीक थे, हालांकि करीब 7 घंटे बाद रोगी की मौत हो गई.

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Ritika Shree
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Sisters tie rakhi to the dead body of their brother.

Abdul mabud( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां डॉक्टरों ने एक जीवित इंसान को मृत घोषित कर दिया और परिवार में मातम पसर गया. परिजन रोते-बिलखते शव लेकर घर आए और उसे चिलर पर रख दिया. अचानक शव पर पड़ी चादर में हरकत हुई तो घर वाले हैरत में पड़ गए. उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था. तत्काल पड़ोस के डॉक्टर बुलाया गया. चेकअप हुआ तो पल्स और ऑक्सीजन लेवल दोनों ठीक थे. रोते परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. तत्काल एंबुलेंस बुलाई गई और चिलर से उठाकर उस व्यक्ति को इलाज के लिए लखनऊ ले जाया गया. हालांकि करीब 7 घंटे बाद रोगी की मौत हो गई.  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोतवाली नगर क्षेत्र में दरियापुर मोहल्ले के रहने वाले अब्दुल माबूद (50 साल) को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. अब्दुल के भाई की पत्नी शाहेदा बानो बताती हैं कि जेठ को ऑक्सीजन की जरूरत थी. गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे उन्हें सरकारी अस्पताल लेकर गए. बहुत कहने के बाद 3-4 इंजेक्शन लगाया गया. इसके बाद भी मरीज को उलझन थी. ऑक्सीजन की डिमांड की गई तो डाक्टर ने ऑक्सीजन सिलेंडर खाली नहीं होने की बात कहकर किनारा कर लिया.

चेस्ट पंप किया, कोई हरकत नहीं हुई

शाहेदा ने आगे बताया कि मरीज को सुकून नहीं था तो उन्हें सरकारी अस्पताल से निकालकर प्राइवेट में लेकर गए. वहां उनकी प्लस रेट बैठ गई थी, ऑक्सीजन लेवल भी डाउन हो गया था. प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया. कहा कि वहां लेकर जाओ जहां ऑक्सीजन मौजूद हो. मजबूरन फिर से सरकारी अस्पताल लेकर जाना पड़ा. यहां चेस्ट पर पंप करने के बाद जब कोई हरकत नहीं हुई तो डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

रात को बेटी सना ने बताया- चादर हिल रही

डाक्टरों के मृत घोषित करने के बाद परिवार वाले शाम को शव लेकर घर आ गए. रिश्तेदारों को मौत की खबर कर दी गई. अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह तय कर दिया इसलिए चिलर लाकर बॉडी को उसमें रख दिया गया. रात करीब 11:30-11:45 पर उसकी बेटी सना अख्तर उसी चिलर के पास बैठी थी. उसने बताया कि धीरे-धीरे चादर हिल रही थी. उसने अपनी मां को यह बताया, फिर जिस फ्रीजर में रखा गया था उसको हटवाया. जब चेक किया गया तो सांस चल रही थी.

लखनऊ इलाज भेजा पर नहीं बच सके

भाई माशूक बताते हैं कि मेरी भतीजी ने बताया कि पापा हिल रहे हैं. मैंने तुरंत चिलर को हटाकर पंच किया तो दिल की धड़कन महसूस हुई, फिर मुंह से हवा दिया. तब तक डाक्टर आ गए थे, उन्होंने चेक किया तो प्लस चल रही थी. फौरन एंबुलेंस बुलाकर उन्हें लखनऊ भेजा गया. लेकिन शुक्रवार सुबह करीब 3 बजे मौत हो गई.

HIGHLIGHTS

  • अब्दुल माबूद (50 साल) को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी
  • गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे उन्हें सरकारी अस्पताल लेकर गए

Source : News Nation Bureau

Sultanpur health department Negligence alive deficiency of oxygen patient
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