एक और 'कागज' की कहानी का खुलासा, ये शख्स हाथ में बोर्ड लिए कह रहा- मैं जिंदा हूं, भूत नहीं

भोला को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर एक साइन बोर्ड के साथ बैठे देखा जा सकता है, जिसमें लिखा है : 'सर, मैं जिंदा हूं. सर, मैं एक इंसान हूं, कोई भूत नहीं.'

author-image
Dalchand Kumar
New Update
Farmer Bhola Singh

किसान भोला सिंह( Photo Credit : IANS)

Advertisment

यह एक ऐसी कहानी है, जिसने सुर्खियां तो खूब बटोरीं, लेकिन इसका सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के अमोई गांव में 65 वर्षीय भोला सिंह को मृत घोषित कर राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर उनके भाई ने उनकी खानदानी जमीन को हड़प लिया. भोला की यह कहानी काफी हद तक लाल बिहारी से मेल खाती है, जिन्होंने सरकारी कागजातों में खुद को मृत साबित कर दिए जाने के बाद लगभग 19 साल तक भारतीय नौकरशाही के साथ संघर्ष किया. उनकी जिंदगी की इसी असल घटना पर फिल्मकार सतीश कौशिक ने 'कागज' बनाई है, जिसे हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया.

यह भी पढ़ें: Snowboarding करने गए शख्स पर टूट पड़ा बर्फ का पहाड़, Video देख सिहर उठेंगे आप 

भोला के मामले में मिर्जापुर जिला प्रशासन ने उनकी असली पहचान को साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है. भोला को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर एक साइन बोर्ड के साथ बैठे देखा जा सकता है, जिसमें लिखा है : 'सर, मैं जिंदा हूं. सर, मैं एक इंसान हूं, कोई भूत नहीं.' इस मामले की जांच कर रहे जिले के एक अधिकारी ने कहा है कि डीएनए टेस्ट कराए जाने की सिफारिश की गई है क्योंकि अमोई के लोग उसे पहचान नहीं पा रहे हैं.

अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (फाइनेंस) यू.पी. सिंह ने कहा, 'हमने मामले की जांच की है. यह आदमी अब अमोई गांव में नहीं रहता है बल्कि किसी और गांव में रहता है. जब भोला सिंह को अमोई में ले जाया गया, तो कोई भी उन्हें नहीं पहचान सका. जब उनसे अपने सगे भाई को पहचानने की बात कही गई, तो वह नहीं पहचान सके. यहां तक कि वह गांव में किसी को भी नहीं पहचान पाए. इसके बाद उन्होंने कहा कि पिछले करीब बीस साल से वह किसी और गांव में रह रहे हैं.'

यह भी पढ़ें: इस रेस्टॉरेंट में आप भी खा सकते हैं ससुराल जैसा खाना, सास-ससुर से मिलने की भी नहीं होगी जरूरत

जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के बाहर 65 वर्षीय इस बुजुर्ग ने पत्रकारों को बताया, 'मेरा नाम भोला है. मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मेरे पिता का निधन होने के बाद जमीन दो लोगों के नाम लिखी गई थी - दोनों भाइयों के नाम पर थी. जमीन के कागजातों में मुझे मृत दिखाया गया है, जबकि मैं जिंदा हूं.'

इस केस की शुरुआत करीब पांच साल पहले तब हुई थी, जब नवंबर 2016 में कोतवाली पुलिस स्टेशन में जालसाजी, धोखाधड़ी पर एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. भोला सिंह के यह आरोप लगाने के बाद कि उनका भाई राज नारायण और दो जिलाधिकारियों ने मिलकर गलत तरीके से उन्हें मृत घोषित कर उनकी पैतृक जमीन को हड़पने का काम किया है और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके चलते उनके द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई.

Source : IANS

Uttar Pradesh mirzapur Mirzapur Farmer Bhola Singh किसान भोला सिंह
Advertisment
Advertisment
Advertisment