कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से लोगों के सेहत पर बुरा असर तो पड़ रही रहा है...रोजगार के साधन भी छिनने लगे हैं. देश भर के प्रवासी मजदूरों का अपने-अपने घर लौटने का सिलसिला जारी है. लॉकडाउन में रोजगार छिन जाने के बाद लोग पैदल ही अपने-अपने घर जो कर्म क्षेत्र से हजारों किलोमीटर दूर हैं के लिए निकल पड़े. प्रवासी मजदूरों के पैदल चलने की कई ऐसी तस्वीर सामने आई जिसे देखकर आंसू निकल आए. एक तस्वीर साइकिल पर बैठे बेटी और बाप की आई. इस तस्वीर में बेटी साइकिल चला रही थी और उसके पिता जी पीछे बैठे हुए थे.
बेटी की इस हिम्मत की दाद सभी लोग दे रहे हैं. ये हिम्मती लड़की दरभंगा की ज्योति है जो अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बैठकर घर ले आई. ज्योति गुरुग्राम से अपने घर बिहार दरभंगा साइकिल से पहुंची. वो अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बैठकर हजारों किलोमीटर चलाकर दरभंगा पहुंच गई. ज्योति की हिम्मत को देखकर कई संगठनों ने उसे सम्मानित करने का ऐलान किया है. वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (AKHILESH YADAV) ने भी ज्योति को एक लाख रुपए देने का ऐलान किया है.
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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेस यादव ने ट्वीट करते कहा, 'सरकार से हारकर एक 15 वर्षीय लड़की निकल पड़ी अपने घायल पिता को लेकर सैकड़ों मील के सफ़र पर. दिल्ली से दरभंगा. आज देश की हर नारी और हम सब उनके साथ हैं. हम उनके साहस का अभिनंदन करते हुए उन तक 1 लाख रुपये की मदद पहुंचाएंगे.'
सरकार से हारकर एक 15 वर्षीय लड़की निकल पड़ी है अपने घायल पिता को लेकर सैकड़ों मील के सफ़र पर... दिल्ली से दरभंगा. आज देश की हर नारी और हम सब उसके साथ हैं.
हम उसके साहस का अभिनंदन करते हुए उस तक 1 लाख रु. की मदद पहुँचाएंगे. pic.twitter.com/amO502S6dj
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 21, 2020
ज्योति महज 15 साल की है और सात दिन साइकिल चलाते हुए 1200 किलोमीटर की दूरी तय की. वो अपने पिता को बैठाकर एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर साइकिल चलाती थी. अब आप सोच रहे होंगे कि कैसा पिता था कि पीछे बैठकर बेटी से साइकिल चलवा रहा था.
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तो चलिए इस बेबस पिता की कहानी बताते हैं. ज्योति के पिता गुरुग्राम में ई-रिक्शा किराए पर चलाते थे. कुछ महीने पहले इनका एक्सीडेंट हो गया था. बेटी पिता का देखभाल करने यहां आई थी. फिर लॉकडाउन हो गया. ई-रिक्शा नहीं चलने की वजह से उनके पास पैसे नहीं बचे थे. ज्योति ने कहा कि ऐसे यहां भूखे मरने से अच्छा है कि गांव चला जाए. पिता को किसी तरह मनाकर ज्योति ने इतना लंबा सफर तय किया.
Source : News Nation Bureau