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लगवाई एक वैक्सीन और मिल गए दो टीकों के सर्टिफिकेट, अब नई असमंजस में फंसा युवक

ताज नगरी आगरा में एक ऐसा मामला सामने आया है जो यह स्पष्ट कर देता है कि किस तरीके से वैक्सीन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है.

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Dalchand Kumar
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Agra Vaccine

लगवाई एक वैक्सीन और मिले दो टीकों के सर्टिफिकेट, अब नई असमंजस में युवक( Photo Credit : News Nation)

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एक तरफ सरकार जहां कोरोना वैक्सीन को लेकर चारों तरफ जागरूकता अभियान चला रही है. वहीं दूसरी तरफ ताज नगरी आगरा में एक ऐसा मामला सामने आया है जो यह स्पष्ट कर देता है कि किस तरीके से वैक्सीन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. बड़ी मुश्किल से हीरेंद्र नाम के एक शख्स को कोरोना की वैक्सीन मिल पाई, मगर वेक्सीन लगवाने के बाद यह युवक एक अजीब सी उलझन में आ गया. हीरेन्द्र के साथ हुए किस्से को सुनेंगे तो हैरान ही नहीं सोच में भी पड़ जाएंगे.

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दरअसल 28 वर्षीय हीरेन्द्र नरवार मधु नगर देवरी रोड के निवासी हैं. कोरोना महामारी को लेकर इन्होंने भी वेक्सीन लगवाने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया. इनको वेक्सीन की डेट 5 जून समय दोपहर 11 से 2 बजे दिया गया. हीरेंद्र खुशी खुशी पोर्टल पर दिए हुए सेंटर विभव नगर पहुंचते हैं. जहां अपनी डिटेल देने पर स्वास्थ्यकर्मी इनसे कहते हैं कि आपका रिकॉर्ड शो नहीं हो रहा आप इंतजार करिए. करीब आधा घंटे इंतजार के बाद भी जब शो नहीं हुआ तो हीरेंद्र बिना वैक्सीन लगवाए घर वापस आ गए. ताज्जुब की बात यह है कि कुछ देर बाद ही हीरेंद्र के मोबाइल पर एक मैसेज आता है और उसमें लिखा होता है कि हीरेंद्र आपको पहली डोज कोवीशिल्ड सफलतापूर्वक लगा दी गई है.

इस मैसेज के बाद हीरेंद्र परेशान हो जाता है, वो स्वास्थ विभाग द्वारा दिए गए कुछ हेल्प लाइन नंबरों पर फ़ोन करता है और वहां से उसे जवाब मिलता है कि आप आज की बात भूल जाइए और दो दिन बाद सोमवार 7 जून को उसी विभव नगर सेंटर पर चले जाइये आपको वैक्सीन लग जाएगी. इस पर हीरेंद्र ने राहत की सांस ली और 7 जून को दिए हुए समय पर सेंटर पहुंच गया. यहां हीरेंद्र को वैक्सीन लगा दी गई और जो सरकारी कार्ड दिया, उसमें जो वेक्सीन लगाई गई कोवैक्सीन उसे अंकित कर दिया गया. कार्ड में यह भी लिखा गया कि दूसरीं कोवैक्सीन डोज आपको एक महीने बाद लगवानी है. इसके बाद हीरेंद्र घर आ गए.

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कहानी अब शुरू होती है

वैक्सीन लगवाने के एक दिन बाद हीरेंद्र ने जब अपने सर्टिफिकेट के लिए आरोग्य सेतु खोला और सर्टिफिकेट डाउनलोड किया तो हीरेंद्र फिर परेशान हो गया. उसके सर्टिफिकेट पर वैक्सीन का नाम कोविशील्ड लिखा हुआ था, जबकि उसने कोवैक्सीन लगवाई थी, जो सरकारी कार्ड में भी अंकित की गई. अब वीरेंद्र परेशान और चिंतित है कि आखिर वो यकीन किस पर करे. सेंटर से मिले सरकारी कार्ड पर या आरोग्य सेतु से मिले सर्टिफिकेट पर. वो समझ नहीं पा रहा है कि उसे अब कोविशील्ड लगवानी है या कोवैक्सीन. हीरेंद्र स्वास्थ्य अधिकारियों से अपील कर रहा है कि उसे बताया जाए कि आखिर ये लापरवाही कैसे और क्यों हुई.

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