Advertisment

होली के जितने रंग, उतनी परम्पराएं, यहां निकाली जाती है हथौड़े की बारात

हथौड़ा बारात के आयोजक संजय सिंह के मुताबिक़ इसकी उत्पत्ति संगम नगरी प्रयागराज में ही हुई है. इसकी अपनी धार्मिक मान्यता भी है, संजय सिंह बताते हैं की भविष्यत्तर पुराण के 126वें श्लोक में वर्णन है.

author-image
Shailendra Kumar
New Update
Holi in Prayagraj

प्रयागराज में होली में निकाली जाती है हथौड़े की बारात( Photo Credit : न्यूज नेशन )

Advertisment

होली की मस्ती के जितने रंग है उतनी ही अनोखी है इसे मनाने की परम्पराएं भी. संगम नगरी प्रयागराज में होली की अजीबो गरीब परम्परा है हथौड़े की बारात. अनूठी परम्परा वाली इस शादी में दूल्हा होता है एक भारी-भरकम हथौड़ा, इसके बाद हथौड़े की बारात निकालने से पहले होता है कद्दू भंजन. शहर की गलियों में जैसे दूल्हे राजा की भव्य बारात निकाली जाती है वैसे इस हथौड़े की बारात में सैकड़ो लोग ढोल नगाड़े के साथ इसमें शामिल होते हैं, डांस भी होता है. इस परंपरा का संदेश संसार की बुराइयों को खत्म करना है और हथौड़े के प्रहार से इस बार कोरोना के भी खत्म करने की कामना की गई है. संगम नगरी में इसी के साथ शुरू हो जाती है रंगपर्व होली.

ब्याह के लिए सजे हैं दूल्हे राजा. किसी की नज़र न लगे, इस लिए दूल्हे राजा की नज़र उतारी गयी, काला टीका लगाया गया और आरती की गयी. घंटों संजने सँवरने के बाद दूल्हे राजा ढोल नगाड़े के साथ पूरी शान से शहर की सड़कों पर निकले.  होली पर होने वाली इस शादी में सैकड़ो बाराती भी शामिल हुए, जो रास्ते भर मस्ती में मगन होकर नाचते हुए हथौड़े की बारात में चलते रहे. इस हथौडा बारात में वही भव्यता देखने को मिली जो कि किसी शादी में देखने को मिलती है. दूल्हा बने हथौड़े की बारात बेहद भव्यता के साथ निकली, साथ ही कद्दू भंजन भी हुआ. सदियों से चली आ रही इस परम्परा के मुताबिक़ हथौड़े और कद्दू का मिलन शहर के बीचो-बीच हजारों लोगों की मौजूदगी में कराया जाता है, इसका मकसद समाज मे फैली कुरीतियों को खत्म करना है और लोगों के मुताबिक इसी हथौड़े से कोरोना का भी इस बार अंत होगा. इस अनूठी हथौड़ा बारात के साथ ही प्रयागराज में होली की औपचारिक तौर पर शुरूवात भी हो जाती है. 

हथौड़ा बारात के आयोजक संजय सिंह के मुताबिक़ इसकी उत्पत्ति संगम नगरी प्रयागराज में ही हुई है. इसकी अपनी धार्मिक मान्यता भी है, संजय सिंह बताते हैं की भविष्यत्तर पुराण के 126वें श्लोक में वर्णन है की भगवान विष्णु प्रलय काल के बाद प्रयागराज में अक्षय वट की छइया पर बैठे थे, उन्होनें सृष्टि की फिर से रचना करने के लिए भगवान विश्वकर्मा से आह्वाहन किया. उस समय भगवान विश्वकर्मा के समझ में नहीं आया की क्या किया जाए, जिसके बाद भगवान विष्णु ने यहीं पर तपस्या, हवन और यज्ञ किया. जिसके बाद ही इस हथौडे़ की उत्पत्ति हुई. इसी लिए संगम नगरी प्रयागराज को यह हथौड़ा प्यारा है. होलिका दहन की पूर्व संध्या पर हथौड़ा बारात निकालने की वर्षों पुरानी परंपरा है.

 

HIGHLIGHTS

  • होली की मस्ती के जितने रंग है उतनी ही अनोखी है इसे मनाने की परम्पराएं
  • संगम नगरी प्रयागराज में होली की अजीबो गरीब परम्परा है हथौड़े की बारात
  • अनूठी परम्परा वाली इस शादी में दूल्हा होता है एक भारी-भरकम हथौड़ा
Holi Festival होली ऑफबीट Holi in Prayagraj Holi festival 2021 Hammer Baraat in Holi Hammer Baraat in Holi in Prayagraj हथौड़े की बारात
Advertisment
Advertisment