जहां एक ओर हम पृथ्वी से बाहर निकल कर दूसरे ग्रहों पर जाने की बातें कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर हमारे देश में ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो आज भी अंधविश्वास में विश्वास रखते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं देवास से 70 किलोमीटर दूर हाटपिपलिया के गोला गांव की. यहां आज भी अंधविश्वास जिंदा है, होली के दिन लोक आस्था के नाम पर यहां के युवक करीब 30 फीट ऊंचे खंभे पर चढ़कर कमर में लोहे के आंकड़े डालकर घुमाते हैं. दिल उस समय कांप जाता है जब ऊपर चढ़े युवक की कमर में लोहे के दो आंकड़े डालकर खाल के सहारे करीब 30 फीट ऊंचे लकड़ी के खंबे पर घुमाया जाता है. इस नजारे को देखने के लिए दूर-दराज के ग्रामीण अपने-अपने ट्रैक्टर, बाइक व बैलगाड़ी से यहां पहुंचते हैं.
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इस मौके पर यहां 1 दिन का मेला भी लगता है, जहां ग्रामीण तरह-तरह के व्यंजनों का लुफ्त उठाते हैं और जमकर खरीदारी भी करते हैं. गांव के सरपंच नानूराम सोलंकी एवं गांव के वसूली पटेल अजाप सिंह ने बताया की गल महाराज की परंपरा गांव में वर्षों से चली आ रही है. युवक के शरीर में स्वयं मेघनाथ देव आते हैं, इस कारण लोहे के आंकड़े कमर में डालने पर जरा-सा भी खून नहीं आता है. जबकि वहीं दूसरी ओर किसी आम आदमी को कील भी लग जाती है तो खून निकलने लगता है. मेघनाथ देव पर लोगों की बड़ी आस्था जुड़ी हुई है और यहां हर एक आदमी की मनोकामना पूरी होती है.
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स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस युवक के शरीर में मेघनाथ महाराज आते हैं, उसे 7 दिन तक दूल्हा बनाया जाता है और रोज हल्दी लगाई जाती है. यहां दो युवकों को, जिनमें मेघनाथ महाराज आते हैं उन्हें 30 फीट लकड़ी के खंभे पर घुमाया जाता है. साथ ही खंभे पर घूमने से पहले नारियल को खंबे पर फेका जाता है अगर नारियल नहीं फूटता है तो वह इस खंभे पर नहीं घूमते हैं. इसके साथ ही युवक के भीतर आए मेघनाथ देव आने वाले साल की भविष्यवाणी भी करते हैं कि वह कैसा रहेगा. यहां पर आसपास के सैकड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और यहां पर लोगों की मनोकामना भी पूरी होती है.
Source : News Nation Bureau