खोजी कुत्तों (sniffer dogs) को अब कोविड-19 मामलों की छानबीन में लगाया जा रहा है. इनकी मदद से सार्वजनिक जगहों पर यात्रियों में संक्रमण की जांच की जा रही है. अमरीका में इनका उपयोग शुरू हो गया है. अमेरिका के ऐसे खोजी श्वानों (sniffer dogs) का उपयोग हो रहा है जो वैश्विक महामारी कोरोना से संक्रमित किसी व्यक्ति की पहचान सूंघकर कर लेते हैं. अब तक आपने खोजी श्वानों का उपयोग सेना व पुलिस द्वारा बमों, संदिग्ध वस्तुओं व व्यक्तियों, पहाड़ों पर बर्फ में दबे लोगों को खोजने जैसे कामों के देखा होगा. मगर अब ट्रेन किए श्वान का इस्तेमाल कोरोना पॉजिटिव मरीजों को पहचानने के लिए हो रहा है. अमरीका की तरह कई अन्य देश भी इस प्रणाली का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे आरटीपीसीआर का टेस्ट का खर्च बच सकेगा. यात्रियों में संक्रमण का पता तुरंत लगाया जा सकता है.
कैंसर व डायबिटीज की भी पहचान
एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में खोजी कुत्तों का इस्तेमाल कैंसर, डायबिटीज व पार्किंनसंस जैसे रोगों की पहचान में भी कारगर रहा है. इस प्रक्रिया को 'बायो डिटेक्शन' (biodetection) या जैविक पड़ताल कहा जाता है. इस तरह के रोगों की जांच में किसी रसायन का उपयोग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. 2019-20 में जब कोरोना महामारी फैल रही थी तो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोरोना की पड़ताल में खोजी श्वानों की सेवाएं लेने का प्रयोग शुरू किया था. अब इस प्रयोग को कामयाबी मिल गई है.
कोरोना संक्रमित के शरीर से निकलते हैं वीओसी
अमरीकी सरकार के नेशनल सेंटर फॉर बॉयो टेक्नालॉजी इंफर्मेशन (NCBI) के अनुसार श्वान अपनी सूंघने की शक्ति के दम पर किसी पदार्थ के 1.5 खरब वे अंश का की पता लगा सकते हैं. जब कोई बीमार पड़ता है तो उसके शरीर से खास तरह के वोलेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड (VOC) निकलते हैं. ऐसे में जब कोई व्यक्ति कोरोना से ग्रस्त होता तो उसके शरीर से आने वाली विशेष गंध को ये खोजी कुत्ते आसानी से पहचान लेते हैं.
HIGHLIGHTS
- श्वान का इस्तेमाल कोरोना पॉजिटिव मरीजों को पहचानने के लिए हो रहा है
- खोजी कुत्ते 'बायो डिटेक्शन' (biodetection) या जैविक पड़ताल कर रहे हैं