जाको राखे साइयां मार सके ना कोय वाली बेहद पुरानी लोकोक्ति एक बार फिर सच साबित हुई है. इसमें बंगाल की खाड़ी में एक भारतीय मछुआरे की मछली पकड़ने की नौका समुद्री तूफान में डूब गई. यह अलग बात है कि इसमें सवार मछुआरा चार दिन तक लहरों पर ऊपर-नीचे होता रहता. फिर उसे चिटगांव के नजदीक एक बांग्लादेशी जहाज ने बचाया. इस दौरान वह बलखाती लहरों की सवारी करता हुआ दक्षिण बंगाल के अपने घर से 600 किमी दूर निकल आया था. किस्मत के इस धनी मछुआरे का नाम है रबींद्रनाथ दास.
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खराब मौसम की चेतावनी कर दी अनसुनी
प्राप्त जानकारी के अनुसार बेहद खराब मौसम की चेतावनी के बावजूद रबींद्रनाथ दास उन सौ के लगभग मछुआरों में शामिल था, जो बीते गुरुवार को काकद्वीप से अपनी मछली पकड़ने की नौका लेकर गहरे समुद्र में उतर गए थे. अचानक आए समुद्री तूफान में सभी फंस गए और अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा पार कर बांग्लादेश की जलीय सीमा में प्रवेश कर गए. मछली पकड़ने की सभी नौकाएं डूब गईं, लेकिन अगले कुछ घंटों में उन पर सवार 1300 के लगभग मछुआरों को बांग्लादेशी जहाज ने बचा लिया.
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छोड़ दी थी जिंदा रहने की उम्मीद
हालांकि बांग्लादेशी जहाज को यह सूचना मिली कि 25 मछुआरों के साथ दो मछली पकड़ने की नौकाओं का कहीं अता-पता नहीं था. गुजरते समय के साथ सभी ने इन मछुआरों के जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी थीं. लेकिन होनी को तो कुछ और मंजूर था. बुधवार को बांग्लादेशी जहाज एमवी जावेद ने चिटगांव तट के पास रबींद्रनाथ दास को लहरों पर हिचकौले खाते देखा. जहाज जैसे ही उसकी ओर बढ़ा. वह और दूर चला गया. आखिरकार उसे देखे जाने वाले पहले स्थान से 5.5 किमी दूर जाकर बचाया जा सका.
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लाया जा रहा है भारत
जहाज पर लाए जाने के उपरांत रबींद्रनाथ दास को प्राथमिक चिकित्सा, खाना और कपड़े दिए गए. बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. साथ ही बांग्लादेश नौसेना और कोस्ट गार्ड की सूचित किया गया. रबींद्रनाथ दास को चार दिन बाद समुद्र से बचाए जाने की खबर आम होते ही बाकी बचे 24 मछुआरों के परिजनों को भी आस बंधी है कि शायद उनके परिजन भी इसी तरह बचा लिए जाएं. अब रबींद्रनाथ दास को बांग्लादेश से भारत लाए जाने की कागजी कार्यवाही पूरी की जा रही है. साथ ही शेष मछुआरों की तलाश में बचाव अभियान एक बार फिर से शुरू किया गया है.
HIGHLIGHTS
- खराब मौसम की चेतावनी दरकिनार कर समुद्र में गए थे मछली पकड़ने.
- काफी मछुआरे बचाए गए, लेकिन 25 मछुआरों का कोई अता-पता नहीं चला.
- चार दिन बार रबींद्रनाथ दास को बांग्लादेशी जहाज ने गहरे समुद्र से जीवित बचाया.