अनोखी बारात: भारत हमेशा से परंपराओं का देश रहा है. यहां रीति-रिवाजों और पुराने समय से चली आ रही परंपराओं का विशेष तवज्जो दी जाती है. 21 वीं सदी में आज भी ऐसे कई उदाहरण इस कड़ी में देखने को मिल जाते हैं. ऐसे ही रीति-रिवाजों में कुछ ऐेसे होते हैं कि एक पल के लिए यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ऐसा कैसे हो सकता है. ऐसा ही एक ताज़ा उदाहरण प्रयागराज से देखने को मिल रहा है, जहां बारात का दूल्हा एक हथौड़ा बना. एक सेकंड के लिए इस लाइन को पढ़ कर आप यकीन भले ही ना कर पाएं लेकिन यह एक सत्य घटना है.
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क्या है मामला
दरअसल बारात में दूल्हा बने हथौड़े का अजीबोगरीब मामला प्रयागराज से सामने आया है. शादी में बाराती नाच रहे हैं गा रहे हैं और जश्न का माहौल है यहां दुल्हा एक लकड़ी का हथौड़ा है जो रेशम और ब्रोकेड के कपड़ों में सजा-धजा है. बता दें यह प्रयाग नागरिक सेवा संस्थान (पीएनएसएस) द्वारा चौक क्षेत्र में हर साल आयोजित होने वाली पारंपरिक हथौड़ा बरात थी. हर साल की तरह इस साल भी किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी द्वारा हथौड़े की आरती करने के बाद केसर विद्या पीठ से शोभायात्रा निकाली गई.
हर साल सजता है हथौड़े का दूल्हा
विशेष बारात के संयोजक संजय सिंह बताते हैं कि पूरे वर्ष के लिए, इस विशेष लकड़ी के हथौड़े को विशेष रूप से डिजाइन किए गए मंच पर पीएनएसएस के कार्यालय में आंशिक रूप से सजाया जाता है, जहां से इसे गंगा नदी में पवित्र डुबकी के लिए ले जाया जाता है और दूल्हे की तरह रेशमी कपड़े और मालाओं से सजाया जाता है.
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बिन दुल्हन की बारात बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक यह बारात बिन दुल्हन की होती है. इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि को बुलाया जाता है. यही नहीं उसे हथौड़े से एक कद्दू को तोड़ने के लिए कहा जाता है. बताया गया कि कद्दू बुराई को दशार्ता है वहीं हथौड़े का प्रयोग बुराई के खात्मे के लिए किया जाता है.
HIGHLIGHTS
- बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए सजती है शादी
- बिन दुल्हन के भी बारात में नाचते-गाते हैं बाराती