यूक्रेन में रूसी सेना की बर्बर कार्रवाई से मानवता पर एक बड़ा संकट पैदा हो गया है. इसमें वे भारतीय छात्र भी फंसे हुए हैं जो अपने घर लौटना चाहते हैं. भारत सरकार लगातार अपने छात्रों की निकासी के लिए अभियान चला रही है. लेकिन इनमें एक भारतीय छात्रा है जिसने खौफ और जान के खतरे के बीच भी इंसानियत का साथ नहीं छोड़ा है. युद्ध के बीच फंसी हरियाणा की एक मेडिकल छात्रा ने यूक्रेन छोड़ने से इनकार कर दिया जबकि उसे अन्य छात्रों की तरह अपने घर लौटने का मौका मिला था.
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भारतीय छात्र यूक्रेन के एक घर में किराए पर रहती हैं. उसके मकान मालिक ने अपने देश की रक्षा करने के लिए यूक्रेन सेना के साथ मिलकर हथियार उठाने का फैसला लिया है. लेकिन अपने पीछे वह छोड़ गए हैं एक परिवार, जिसमें उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं. अब भारत की इस बेटी ने अपने मकान मालिक के परिवार की देखरेख करने का जिम्मा उठाया है. हरियाणा के चरखी दादरी जिले की एक टीचर ने बताया कि भारत की मेडिकल स्टूडेंट नेहा ने अपनी मां से कहा, 'मैं जिंदा रहूं या न रहूं, लेकिन मैं इन बच्चों और इनकी मां को इस हालत में नहीं छोड़ूंगी.'
नेहा के पिता भारतीय सेना में थे. दो साल पहले उन्होंने अपने पिता को खो दिया. पिछले साल नेहा को यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए एडमिशन मिला था. फिलहाल 17 साल की नेहा अपने मकान मालिक की पत्नी और तीन बच्चों के साथ एक बंकर में छिपी हुई हैं. ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक नेहा ने अपने दोस्त से बात करते बताया कि हमें लगातार बाहर धमाकों की आवाज सुनाई दे रही है लेकिन अभी तक हम ठीक हैं.
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नेहा एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए कीव गई थीं. हॉस्टल की सुविधा न मिलने पर उन्होंने एक इंजीनियर के घर में एक कमरा किराए पर लिया था. नेहा की मां की दोस्त सविता जाखर ने बताया, 'नेहा मकान मालिक के बच्चों के साथ घुल-मिल गई. देश में बढ़ते तनाव को देखते हुए उसे देश छोड़ने की सलाह दी गई थी. नेहा की मां ने उसकी निकासी के लिए कई प्रयास किए. आखिरकार नेहा को यूक्रेन से रोमानिया आने का मौका मिला लेकिन उसने इनकार कर दिया और इस तरह के तनावपूर्ण हालात में उस परिवार के साथ रुकने का फैसला किया.'
उन्होंने बताया कि नेहा का परिवार और दोस्त उसे वापस आने के लिए कह रहे हैं लेकिन वह लगातार इनकार कर रही है. सविता ने अपनी फेसबुक पोस्ट में नेहा की कहानी बताई. अब यह पोस्ट जमकर शेयर हो रही है. नेहा साहस की मिसाल और भारत के लिए गर्व का विषय बन गई हैं. यूक्रेन में युद्ध को शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति न सिर्फ हथियार डालने से इनकार कर चुके हैं बल्कि वह अमेरिका की ओर से दिए गए निकासी के प्रस्ताव को भी खारिज कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध में मुझे हथियार चाहिए न कि सवारी.