मैं तुम्हें दिल से प्यार करता हूं... तुमने मेरा दिल तोड़ दिया, मेरे दिल की बात तो बतानी ही पड़ेगी, इस 'दिल' शब्द ने ना जाने कितने वाक्य बनाए हैं, जिसके कारण प्यार करने वाले आज दिमाग से नहीं दिल से सोचने लगे हैं और यहीं सबसे बड़ी गलती कर बैठते हैं. अब सवाल यह है कि क्या दिल से सोच नहीं सकते? क्या प्यार दिल से नहीं किया जा सकता? क्या प्यार में बिछड़ना यानी ब्रेकअप दिल को तकलीफ नहीं देता? इस पूरे सवाल का एक ही जवाब होगा कि नहीं. ये दिल का काम नहीं है. फिर हम वहीं अटक जाते हैं कि दिल क्यों दुखी हो जाता है? तो आइए हम आपको इस 'शैतान दिल' के बारे में विस्तार से बताते हैं.
क्यों नहीं होता है दिल से प्यार?
जब भी आपके साथ कुछ अच्छा या बुरा होता है तो हम उसे सीधे दिल से जोड़ते हैं, लेकिन इसका पूरा कनेक्शन दिल से नहीं बल्कि दिमाग से होता है. यानी दिल नहीं बल्कि दिमाग हर तरह की भावनाओं का अहसास कराता है.जब आपको किसी से प्यार होता है तो वह दिल से नहीं बल्कि दिमाग से होता है और उस वक्त आपके दिमाग से एक खास हार्मोन प्रवाहित होता है. यह हार्मोन आपको प्यार की अलग-अलग अनुभूति कराता है.
जब प्यार में अलग-अलग तरह की भावनाएं पैदा होती हैं तो इसके पीछे का कारण ऑक्सीटोसिन ही होता है, जो हमारे आस-पास के लोगों के लिए प्यार का कारण बनता है जैसे मां के लिए प्यार, बॉयफ्रेंड का गर्लफ्रेंड के लिए प्यार या अलग-अलग रिश्तों के बीच प्यार. साथ ही जब दुख होता है तो दिमाग में सेरोटोनिन हॉर्मोन क्रिएट होता है, जिसके कारण उदासी का अनुभव होता है.
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फिर दिल का क्या होता है काम?
यह हार्मोन पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलता है जो मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस के निचले हिस्से की ओर मौजूद होता है. अब आपके मन में जो सवाल अभी भी चल रहा है, उस पर सीधे आते हैं. प्यार में दिल का क्या रोल होता है? देखिये प्यार में दिल की कोई भूमिका नहीं होती. दिल का काम शरीर में रक्त संचार करना होता है. दिल यानी हार्ट आपके शरीर में रक्त प्रवाह बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हमने भी आपको ये खबर दिल से नहीं दिमाग से ही बताया है.
Source : News Nation Bureau