Jatinga Valley Assam: इंसानों के खुदकशी करने के बारे में तो आए दिन खबरें आती रहती है लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि पक्षी भी आत्महत्या करते हैं? यकीनन आपको ये बात अजीब लग रही होगी कि आखिर पक्षी क्यों और कैसे आत्महत्या करेंगे. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सच में पक्षी आत्महत्या करते हैं. हैरानी की बात तो ये है कि आज तक कोई इस बात का रहस्य नहीं जान पाया कि आखिर यहीं आकर पक्षी आत्महत्या क्योंकि करते हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं असम की जतिंगा घाटी की. जिसमें आकर पक्षी अपने जीवन से मुक्ति पा लेते हैं.
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इस घाटी में एक दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में पक्षी आत्महत्या करते हैं. ऐसा माना जाता है कि अपने जीवन से परेशान होकर पक्षी भी यहां आकर खुदकुशी कर लेते हैं. ये स्थान पक्षियों के लिए सामूहिक आत्महत्या करने वाला स्थान बन गया है. जतिंगा घाटी में पक्षियों की आत्महत्या का सिलसिला कोई नया नहीं है बल्कि सालों से पक्षी इस घाटी में आकर आत्महत्या करते रहे हैं. हालांकि मानूसन के महीने में इस घाटी में पक्षियों के आत्महत्या करने के मामले बढ़ जाते हैं. यही नहीं अमावस और जिस दिन अधिक कोहरा होता है उस दिन भी यहां सबसे ज्यादा पक्षियों की मौत होती है.
ये इलाका असम के उत्तरी कछार की पहाड़ी में स्थित है. जहां जनजातियों का विस्तार है, इस इलाके में दिमा हासो जिले में ही लगभग दो दर्जन जनजातीय समुदाय के लोग रहते हैं. बताया जाता है कि जतिंगा घाटी की इस रहस्यमयी घटना का पता भी मणिपुर की ओर से आई जेमेस नाम की एक जनजातीय समूह के लोगों ने लगाया था. इस जनजाति के लोग सुपाड़ी की खेती की तलाश में इस इलाके में पहुंचे थे.
जतिंगा घाटी में पक्षियों की आत्महत्या के पीछे क्या वजह है इसके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया. हालांकि इस इलाके में इसे लेकर तरह तरह की बातें कही जाती हैं. यहां की जनजाति इस घटना को भूत-प्रेतों और अदृश्य ताकतों का काम मानती है तो वैज्ञानिकों के मुताबिक, यहां तेज हवाओं से पक्षियों का संतुलन बिगड़ने को उनकी मौत का जिम्मेदार मानते हैं. सच्चाई क्या है इसके बारे में आज भी रहस्य बना हुआ है.
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Source : News Nation Bureau