कोरोना वायरस महामारी का असर वैसे पर हर इंसान पर पड़ा है, मगर इस मुश्किल समय में कुछ समय रुककर उन लोगों के बारे में भी जानते हैं, जो कोविड के चलते जीने की कगार पर जा चुके हैं और महामारी की नई लहर ने इन लोगों को और अधिक गरीबी में धकेल दिया है. अपनी जिंदगी के लिए हर रोज संघर्ष करने वाले ये लोग अब कहीं न कहीं अपनी यह लड़ाई हार रहे हैं. महामारी ने जहां लोगों की सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचाया है तो वहीं काफी लोग ऐसे भी जिनकी रोजी रोटी छिन गई.रोजगार छिन जाने पर इन लोगों के लिए परिवार चलाना मुश्किल हो चुका है. परिवार को दो वक्त की रोटी मिल सके, इसलिए बहुत से IT इंजीनियर और डबल ग्रेजुएट करने लगे लोग भी कुछ भी काम करने को तैयार हैं. यहां तक वह नाले की सफाई तक करने को मजबूर हैं.
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महाराष्ट्र के मंब्रा इलाके में कोरोना वायरस की मार के साथ नौकरी से लात खाने वाले कुछ लोग नाले की सफाई तक करने को मजबूर हैं. आईटी इंजीनियर और डबल ग्रेजुएट कर चुके ये लोग पैसों के लिए बारिश के मौसम में नाले की सफाई कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में एक युवक ने बताया कि नाले की सफाई से जो भी आमदनी होती है, उससे परिवार को चलाना होता है. हालांकि युवक का यह भी कहना है कि इन काम चाहे किसी भी तरह का हो, काम तो काम होता है. ऐसे ही दूसरे युवक का कहना है कि वो डबल ग्रेजुएट हैं और पिछले तीन महीनों से ठेकेदार के साथ काम कर रहा है.
इस युवक ने बताया कि उसने कई कंपनियों में काम की तलाश की, मगर कई कंपनियां महामारी के दौरान या तो बंद हो गई हैं या फिर अभी किसी को भी नौकरी नहीं दे रहीं. उसने कहा कि इस समय नौकरी की जरूरत है, जिससे कुछ कमा सकें, ताकि परिवार का पेट भर पाए. नाले की सफाई करने वाले में एक अन्य युवक ने कहा कि वह आईटी इंजीनियर हैं. महामारी के दौरान जॉब चली गई तो ऐसे में परिवार के खर्च के लिए नाले की सफाई में जुटे हैं.
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वहीं नाले की सफाई कर रहे एक और युवक ने कहा कि किसी भी काम को करने में शर्म नहीं करनी चाहिए. अगर हमें जिंदा रहना है और परिवार की मदद करनी है तो कुछ न कुछ कमाना ही होगा. चाहे भले ही पोस्ट ग्रैजुएट या डबल ग्रैजुएट हैं, लेकिन संकट के दौर में डिग्रियां किसी काम की नहीं हैं. बता दें कि महाराष्ट्र के मंब्रा इलाके में एक ग्रुप नाले की खुदाई कर रहा है, जिसमें यह सभी लोग शामिल हैं.