आज विश्व ड्रग्स डे मनाया जा रहा है. ड्रग्स की लत से कैसे लोगो को बचाया जाए, इसको लेकर तरह तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं. लेकिन हम न्यूज नेशन पर आप को एक ऐसे शख्स से मिलाएंगे जो कभी खुद नशे का आदि था लेकिन फिर नशे की लत छूट गई और पिछले दो दशक में करीब 10 हजार ड्रग एडिक्ट्स का इलाज अपने नशा मुक्त केंद्र में किया. समुंदर हो या जमीन, हवाई जहाज हो या ट्रेन...आए दिन ड्रग्स पकड़ने की खबरें मिलती रहती हैं. ड्रग्स के नशे की लत युवा पीढ़ी को लग चुकी है. बच्चे और युवा ड्रग्स को तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
कई घरों के चिराग इस लत से बुझ गए हैं. लेकिन बेंगलुरु के बिदारे अग्रहरा में रहने वाले लक्ष्मी नारायण ने पिछले 23 सालों में करीब दस हजार घरों को बिखरने से बचाया. लक्ष्मी नारायण ने अपने नशा मुक्त केंद्र पिछले दो दशकों में 10 हजार ड्रग एडिक्ट्स का इलाज कर के ठीक कर दिया है और यह सभी ड्रग एडिक्ट्स गरीब परिवारों से थे. दरअसल 30 साल पहले लक्ष्मी नारायण खुद नशे की लत का शिकार थे. दिन रात शराब के नशे में धुत रहते थे. घर वालो की लाख कोशिशों के बावजूद उन्होंने शराब पीना नहीं छोड़ा. फिर 1994 में उन्हे एक नशा मुक्ति केंद्र में डाला गया और यही लक्ष्मी नारायण को एहसास हुआ की नशे की लत न उनके लिए ठीक है और ना ही इस समाज के लिए. चार साल तक इसी नशा मुक्त केंद्र में सेवा रहने के बाद लक्ष्मी नारायण अपने घर लौटे और फैसला लिया कि वो गरीब परिवारों से आने वाले नशे की लत में डूबे लोगो के लिए नशा मुक्त केंद्र खोलेंगे.
लक्ष्मी नारायण के इस नशा मुक्ति केंद्र में रोजाना सुबह छह बजे से रात दस बजे तक नशे की लत को छुड़ाने को लेकर यहां आए ड्रग एडिक्ट्स को काउंसलिंग की जाती है. शरुआत प्राथना से होती है, फिर योग और फिर नशे के नुकसान के बारे में इन्हे समझाया जाता है. एक नशे की लत में डूबे शख्स को कम से कम 3 महीने लगते है ठीक करने में मोबाइल और सोशल मीडिया के इस ज़माने में ड्रग्स मिलना आसान हो गया है. यही वजह है की बच्चे और युवा पीढ़ी ड्रग्स के इस जाल में फंसती जा रही है.
Source : News Nation Bureau