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MBA पास आदित्य ने सुनहरे करियर को ठुकराया, जनसेवा के लिए चुना ये रास्ता

अगर आपके दिल मे कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो  बाधाएं कैसी भी आपको रोक नहीं सकती और आप नेक नीयत के साथ अच्छा काम करते हैं तो दुनिया भी साथ देती है।संगमनगरी में आदित्य कुमार सिंह  भी एक ऐसे शख्स हैं जो कुछ कर गुजरने का माद्दा रखते हैं.

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Ravindra Singh
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अपने दोस्तों के साथ आदित्य( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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अगर आपके दिल मे कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो  बाधाएं कैसी भी आपको रोक नहीं सकती और आप नेक नीयत के साथ अच्छा काम करते हैं तो दुनिया भी साथ देती है.संगमनगरी में आदित्य कुमार सिंह  भी एक ऐसे शख्स हैं जो कुछ कर गुजरने का माद्दा रखते हैं. एमबीए की डिग्री लेने के बाद भी आदित्य ने अपने गांव और आसपास के इलाकों की स्थिति सुधारने के लिए संकल्प लिया तो गांव के लोगों ने उन्हें पंचायत चुनाव लड़वाकर ग्राम प्रधान बना दिया. मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंज़िल मगर, लोग आते गये कारवां बनता गया.

ये लाइनें जिनपर फिट बैठती हैं उनमें प्रयागराज के आदित्य कुमार सिंह शामिल है. हाल में हुए पंचायत चुनाव में आदित्य प्रयागराज ज़िले में सबसे कम... महज 21 साल की उम्र में प्रधान चुने गए हैं. फूलपुर विकासखंड के मुस्तफाबाद गांव के प्रधान आदित्य ने एमबीए जैसी प्रोफेशनल डिग्री लेने के बाद नौकरी को नहीं चुना, इसकी जगह अपने गांव की दुर्दशा को सुधारने की ठानी. उन्होंने प्रण लिया की गांव में रहकर ही बेहतर काम करेंगे. प्रयागराज  में सबसे कम उम्र के आदित्य ने प्रधान पद की शपथ ली है. उन्होंने नौकरी न कर, चुनाव लड़ा और पहली ही बार में जीत हासिल की.

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आदित्य के गांव के कुछ इलाकों में बिजली नहीं थी तो आदित्य ने अपने पैसे से उन इलाकों में विद्युतीकरण करा दिया. गांव में बिजली आई तो सभी लोग आदित्य के मुरीद हो गए. उनके नेक कामों को देखते हुए गांव वालों ने उन्हें अपना मुखिया बनाने की सोची. आदित्य को ग्राम प्रधान का चुनाव लड़वा दिया. आदित्य ने सभी का भरोसा कायम रखते हुए जीत हासिल की और वह आज प्रयागराज के सबसे कम उम्र के ग्राम प्रधान हैं.

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सबसे कम उम्र के ग्राम प्रधान की शपथ लेने के बाद आदित्य ने बताया कि गांव का विकास करना ही उनकी पहली प्राथमिकता है. आदित्य का कहना है कि गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं है, उस दिशा में काम करना है. उनका कहना है कि वह अब नौकरी नहीं करेंगे. आदित्य से हमने पूछा कि एमबीए की डिग्री का क्या करेंगे तो बोले उसका उपयोग गांव के विकास और प्रबंधन में करूंगा. आदित्य ने ये भी कहा कि वह वैज्ञानिक तरीके से आर्गेनिक खेती करेंगे, फिलहाल गांव के लोगों को शिक्षित करना और कोरोना काल मे गांव-क्षेत्र को कोरोना से बचाना उनका मकसद है. आदित्य के पिता शिवाजी सिंह इफको फूलपुर की आंवला ईकाई में वरिष्ठ प्रबंधक रहें है, बेहद सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले एमबीए पास आदित्य ने ग्राम सभा की कमान संभाल ली है. उम्मीद है कि एमबीए पास एक नौजवान के गांव की उन्नति और शिक्षा को लेकर कोई योजना होगी और वो अपने संकल्प को पूरा करेंगे.

HIGHLIGHTS

  • फूलपुर के रहने वाले आदित्य ने छोड़ा सुनहरा करियर
  • जनसेवा के लिए आदित्य ने नहीं की नौकरी
  • महज 21 वर्ष की उम्र में चुने गए ग्राम प्रधान
education Offbeat News बी-21 MBA Passed Aditya aditya become Gram Pradhan Rejected golden Carrier Public Service आदित्य ने एमबीए के बाद नहीं की नौकरी
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