National Mountain Climbing Day: माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में लगता है इतना समय और इतना आता है खर्चा

National Mountain Climbing Day: माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है. जिसपर चढ़ने का लाखों लोग सपना देखते हैं. लेकिन हर किसी का ये सपना पूरा नहीं होता. क्योंकि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई जितनी मुश्किल है उतनी ही खर्ची भी.

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Suhel Khan
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Mount Everest ( Photo Credit : File Photo)

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National Mountain Climbing Day: आज 1 अगस्त है और इस दिन को माउंटेन क्लाइम्बिंग डे के रूप में मनाया जाता है. जिसका मकसद लोगों में माउंट क्लाइंबिंग के प्रति जागरूकता पैदा करना है. जिससे लोग सही तरीके से पर्वतारोहण के क्षेत्र में ट्रेनिंग लें और कामयाबी की इबारत लिखें. ऐसे में हम आपको माउंट एवरेस्ट से जुड़ी ऐसी जानकारियां देने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद ही आपने कभी सुना और पढ़ा होगा. दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई करना जितना मुश्किल है उतना ही खर्चीला भी. इसलिए इस चोटी पर चढ़ने की हर किसी की हिम्मत नहीं होती. इसके अलावा इस चोटी पर एक-दो दिन या एक दो सप्ताह में नहीं चढ़ा जा सकता.

माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है जो पड़ोसी देश नेपाल में स्थित है. हर साल इस चोटी पर चढ़ने के लिए सैकड़ों लोग तैयारी करते हैं लेकिन कामयाबी कुछ ही लोगों को मिलती है. माउंट एवरेस्ट की ऊंची समुद्र तल से 8,850 मीटर है.

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जानिए किसने की एवरेस्ट की खोज और किसने रखा नाम

बता दें कि माउंट एवरेस्ट की खोज सबसे पहले सर जॉर्ज एवरेस्ट ने की थी. 1841 में इस चोटी की खोज करने के बाद उन्होंने इसका नाम पीक 15 रखा. उसके बाद 1865 में सर जॉर्ज एवरेस्ट के सम्मान में इस पर्वत का नाम माउंट एवरेस्ट के रूप में पेश किया गया. नेपाल में एवरेस्ट को सागरमाथा के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब 'आकाश की देवी' होता है. जबकि तिब्बत में इस पर्वत को चोमोलुंगमा के नाम से जाना जाता है. जहां इसका अर्थ 'पहाड़ों की देवी' से है.

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हर साल इतना बढ़ जाता है माउंट एवरेस्ट

आपको जानकर हैरानी होगी कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई हर साल बढ़ जाती है. दरअसल, टेक्टोनिक प्लेटें खिसकने के साथ-साथ हिमालय को ऊपर की ओर धकेलती है. जिसके चलते माउंट एवरेस्ट हर साल 2 सेंटीमीटर ऊंचा हो जाता है.

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ते समय इस खास नियम का किया जाता है पालन

बता दें माउंट एवरेस्ट जिनते रहस्य लिए हुए हैं उसपर चढ़ाई के नियम भी उतने ही हैं. इस पर्वत पर चढ़ने के लिए 2 बजे के नियम का मुख्य रूप से पालन करना होगा. दरअसल, माउंट एवरेस्ट के ठंडे और अप्रत्याशित मौसम के चलते पर्वतारोहियों को सलाह दी जाती है कि वो दोपहर 2 बजे तक माउंट एवरेस्ट के शिखर तक पहुंच जाएं. अगर कोई पर्वतारोही इस वक्त तक शिखर तक नहीं पहुंच पाता तो उसे वापस आने को कहा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि दो बजे के बाद तापमान में गिरावट शुरु हो जाती है और मौसम खराब होने लगता है. ऐसे में जान को खतरा बढ़ जाता है.

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माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में लगता है इतना वक्त

बता दें कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले बेस कैंप तक पहुंचना होता है. जिसमें 10 से 14 दिनों का वक्त लगता है. इसके बाद एवरेस्ट बेस कैंप से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई शुरु करनी होती है. इसके बाद पर्वत के शिखर तक पहुंचने में 39-40 दिनों का वक्त लग जाता है. कई बार ये 60 दिनों तक भी सकता है. दरअसल, एवरेस्ट पर इतना वक्त इसलिए लग जाता है कि इस दौरान आपका शरीर मौसम के अनुसार ढल जाता है. क्योंकि जमीन की तुलना में एवरेस्ट पर ऑक्सीजन की मात्रा केवल एक तिहाई है. यहां पर्वतारोहियों को बोतलबंद ऑक्सीजन का प्रयोग करना पड़ता है. 

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एवरेस्ट पर चढ़ने में खर्च होते हैं इतने लाख रुपये

बता दें कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए आपका फिट होना ही जरूरी नहीं है. बल्कि आपके पास पैसा होना भी जरूरी है. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने से पहले नेपाल सरकार को 11 हजार डालर यानी करीब सवा नौ लाख रुपये फीस चुकानी होती है. इस पूरी यात्रा में आपको 80 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ सकते हैं.

HIGHLIGHTS

  • माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में लगता है 40 दिन का वक्त
  • 80 लाख रुपये से ज्यादा का आता है खर्च
  • 8850 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे ऊंची चोटी

Source : News Nation Bureau

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