पाकिस्तान की महिलाएं बहुत खूबसूरत होती है. इसके साथ ही हमेशा ब्लैक कलर के बुर्के में ही रहते है. लेकिन, वहीं दूसरी और पाकिस्तान में अफगानिस्तान के बॉर्डर पर चित्राल घाटी में बिरीर, बाम्बुराते और रामबुर इलाके हैं. इन इलाकों में कलाशा नाम के जनजाति रहते है. इन ट्राइब्स के लोगों का कल्चर पाकिस्तान के लोगों से बहुत अलग है. इस जगह की आबादी कम से कम चार हजार के आस-पास है. इस ट्राइब की महिलाएं बहुत ही आजाद ख्याल की है. यहां कि महिलाएं ना सिर्फ खूबसूरत बल्कि एकदम बिंदास नेचर की है. इनके आजाद ख्याल सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा.
यह भी पढ़े : Antique Collections का अनोखा शौक, 81 साल के बुजुर्ग ने घर को बनाया म्यूजियम
जहां एक तरफ पाकिस्तान की महिलाएं बुर्के में रहती है. वहीं इस इलाके की महिलाएं बुर्क नहीं बल्कि रंग-बिरंगे कपड़े पहनती है. इसके साथ ही अपनी जिंदगी के फैसले भी खुद ही लेती हैं. यहां तक की शादी भी अपनी पसंद से करती है. इसी समुदाय की महिलाएं ही कमाई के साधन ढूंढ़ती है. इस समुदाय के लोग खुद ही पहाड़ों पर भेड़-बकरियों को चराने जाती है. वे अपने घरों में रंगीन पर्स बनाती है. इन्हें सजने संवरने का भी बहुत शौक होता है.
यह भी पढ़े : BMW कार जितनी है इस टायर की कीमत, जानें क्या है खासियत
इस इलाके का नाम पाकिस्तान के सबसे कम संख्या वाले अल्पसंख्यकों में आता है. अगर इस समुदाय की किसी भी महिला को कोई गैर मर्द पसंद आ जाता है तो वो अपनी शादी तोड़कर उस आदमी से शादी कर लेती हैं. इस समुदाय के लोग हिंदू कुश पहाड़ों से घिरे इलाके में रहते हैं. इस समुदाय का मानना है कि हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला से घिरा होने के कारण उसका कल्चर अभी तक सेफ है.
यहां camos नाम का फेस्टिवल मनाया जाता है. ये फेस्टिवल दिसंबर में मनाया जाता है. इस फेस्टिवल पर ही इस समुदाय की महिलाएं और लड़कियां अपने लिए लड़का तलाश करती हैं. ये फेस्टिवल अविवाहित लड़कियों के लिए तो खास होता ही है. इसके अलावा शादी-शुदा महिलाओं के लिए भी बहुत खास होता है. इस समुदाय के लोगों में संबंधों को लेकर इतना ज्यादा खुलापन है कि यदि शादी-शुदा महिलाओं को कोई दूसरा मर्द पसंद आ जाए तो वो अपनी शादी तोड़कर उसके साथ रहने चली जाती हैं.
यह भी पढ़े : मुलायम सिंह को अपने खेत से मिला बेशकीमती हीरा, कीमत जानकर रह जाएंगे दंग
इस समुदाय के तौर-तरीके बहुत अलग हैं. जैसे कि यहां किसी की मौत पर रोया नहीं जाता बल्कि वो खुशी के त्यौहार का मौका होता है. क्रियाकर्म के दौरान ये लोग जाने वाले के लिए खुशी मनाते हुए नाचते-गाते और शराब पीते हैं. वे मानते हैं कि कोई ऊपरवाले की मर्जी से यहां आया और फिर उसी के पास लौट गया.