Baghpat: पहली बार सुनने में कहानी फिल्मी लगेगी. लेकिन है 100 प्रतिशत सही. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में कोरोना संक्रमण (corona infection) से मृत लोग फिर से जिंदा हो गये हैं. दिलचस्प बात ये है कि जिंदा होने वाले लोगों के परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग (health department) के अधिकारियों को खुद फोन कर इसकी जानकारी दी है. पूरा मामला सामने आने पर अब अधिकारी जिम्मेदारी से भागते नजर आ रहे हैं. हालाकि मामला अब कुछ लोगों ने परिजनों पर दबाव बनाया है. जिसके बाद ग्रामीण मामले में सफाई देते दिखाई दे रहे हैं. आईये जानते हैं क्या है पूरा मामला.
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दरअसल, प्रशासन ने कोरोना संक्रमण से मृत लोगों के परिजनों को 50 हजार की सहायता राशि देने की घोषणा की थी. इस सहायता राशि को मृत व्यक्ति के परिजनों को दिया जाना तय हुआ था. जिला स्तर पर इसकी प्रक्रिया शुरू हुई तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में 141 मृत लोगों के नाम शासन स्तर पर भेजने के लिए प्रशासन को दिए गए. भेजी गई इस सूची को पूरी तरह से जांचा नहीं गया और इसमें संक्रमण से ठीक हुए लोगों के नाम भी मृत लोगों की सूची में डालकर भेज दिए गए. 50 हजार की सहायता राशि के लिए जब इन मृतकों के परिजनों से संपर्क किया गया तो पता चला कि उनके घर में तो किसी की मृत्यु ही नहीं हुई. जिनको कोरोना संक्रमण से मरा दिखाया जा रहा है वे ठीक हो चुके हैं और घर में स्वास्थ्य हैं.
मरकर भी हुए जिंदा
लोयन मलकपुर गांव की रहने वाली शर्मिष्ठा पत्नी किरणपाल, पाबला के पूर्व प्रधान ब्रह्म सिंह पुत्र लखपत, बागपत में चमरावल रोड पर रहने वाली जानकी पत्नी हरिकृष्ण जिंदा मिल चुके हैं. इन सभी को दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण हुआ दिखाया गया. जो कि बाद में ठीक होकर घर जा चुके हैं. लेकिन कागजों में इनको मरा हुआ दिखाया गया है. अब इनको जिंदा देखकर हर कोई चौंक गया कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपनी खामी को छिपाते घूम रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- जिंदा होने वाले लोगों के परिजनों ने खुद दी स्वास्थ्य विभाग को जानकारी
- खामी को छिपाकर लीपापोती में लगे विभागीय अधिकारी
- उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुई हैरानी वाली घटना
Source : News Nation Bureau