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Jet Airways की बर्बादी का जिम्मेदार बना एक फैसला, नरेश गोयल ने किसी की नहीं सुनी 

Jet Airways: गेमचेंजर डिसिजन समझने की भूल करने वाले नरेश गोयल ने किसी की नहीं सुनी. कंपिटिशन के चक्कर में एक रुपये की कीमत को कम आंक बैठे. 

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Mohit Saxena
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jet airways( Photo Credit : social media )

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Jet Airways: जेट एयरवेज देश के सबसे बड़े एयरलाइंस में शुमार करता है. अब इसके संस्थापक नरेश गोयल की 538 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर लिया गया है. जेट की बर्बादी में एक ऐसा फैसला है, जिसे गेमचेंजर समझा जा रहा था. कंपनी के मालिक नरेश गोयल ने ओवरकॉफिडेंट थे कि इससे कंपनी शीर्ष पर पहुंच जाएगी. दरअसल उस समय जेट का मुकाबला इंडिगो एयरलाइंस से था. ये बात  2015 की है. तब नरेश गोयल ने अपनी फ्लाइट का किराया एक रुपये प्रति किलोमीटर कम करने का निर्णय लिया था. मगर यह डिसिजन जेट को महंगा पड़ गया. इसके बाद अपने कंपिटिटर को ​पछाड़ने के लिए उसने और पूजी डालनी शुरू कर दी. यहीं से जेट एयरवेज के बुरे दिन शुरू हो गए. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि कैस जेट एयरवेज का पतन होना शुरू हुआ?

किस तरह से शुरू हुई जेट 

जेट का एयरवेज का सपना नरेश गोयल और उनकी पत्नी ने देखा था. नरेश गोयल की शुरूआत 300 रुपए की कमाई से आरंभ हुई. दिल्ली के कनॉट प्लेस में उन्होंने एक एक ट्रैवल एजेंट के रूप में अपना करियर शुरू किया. इसके बाद नरेश गोयल ने जेट एयरवेज की नीव रखी. कई संघर्षों के बाद इसे खड़ा किया. जेट ने जो तेजी पकड़ी वह इतिहास बन गई. मगर एक निर्णय ने उसे अर्श से फर्श पर ला दिया. इंडिगो उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी था. उसे पीछे करने के लिए जेट एयरवेज के मालिक ने एक निर्णय लिया. इसकी भरपाई नरेश गोयल को अब तक करनी पड़ रही है. 

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क्या था वो फैसला

जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को एक रुपये ने तबाह कर दिया. आपको इसका यकीन नहीं हो रहा है. मगर ये बिल्कुल ठीक है. करीब 8 साल पहले 2015 में जेट एयरवेज अपने शीर्ष पर थी. उनकी नजर इंडिगो को पीछे करने की थी. इसके साथ जेट मार्केट शेयर बढ़ाने की बात थी. यही वह समय था जब नरेश गोयल को एक ऐसा फैसला लेना था. इससे जेट एयरवेज का भविष्य तय होना था. उस समय उन्होंने निर्णय लिया कि यात्रियों को लुभाने के लिए एयर फेयर कम किया जाए. इसे एक रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से कम किया गया. इसका अर्थ है कि अगर दो जगहों का हवाई सफर 2000 किलोमीटर है, जो इंडिगो उसका किराया इकोनॉमी क्लास का 5 हजार रख रहा था. वहीं जेट एयरवेज का एयर फेयर 3000 रुपए का था. उसके बाद पूरी एविएशन इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया. इसका असर भी कंपनी पर ही पड़ा.

फिर शुरू हुआ जेट का पतन

किराया कम करने का निर्णय भले उस समय फायदेमंद लग रहा था, मगर से फॉर्मूला एयरलाइन के खतरनाक साबित हुआ. इसके बाद कंपनी को चलाने के लिए नरेश गोयल को कर्ज लेना पड़ा. जिसके बाद नरेश गोयल कभी भी कर्ज के दलदल से बाहर नहीं निकल पाए. इसका इंडिगो ने फायदा उठाया. इंडिगो ने जेट को पीछे करने के लिए अपने ऑपरेशंस को मजबूत किया. इसे 2   से 3 गुना बढ़ा लिया. आम जनता को ऑफर दिए और बंपर छूट भी दी. इस तरह से जेट का पूरा सम्राज्य ढह गया. इसके बाद क्रूड ऑयल में तेजी शुरू हो गई. एयर फ्यूल की कीमतों में इजाफा शुरू हो गया. इस तरह से जेट एयरवेज की सभी उम्मीदें खत्म हो गईं. 

 

 

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