Worship of Bats: दुनियाभर में फैलने वाली ज्यादातर महामारी का कारण चमगादड़ ही बनती है. फिर चाहे साल 2020 में फैला कोरोना वायरस हो या फिर निपाह वायरस. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई कि कोरोना वायरस के फैलने वजह चमगादड़ थीं या फिर कोई खतरनाक रसायन. हमारे देश में चमगादड़ों को बहुत अशुभ भी माना जाता है. इसीलिए लोग इन्हें अपने घरों में नहीं आने देते. लेकिन आज हम आपको अपने ही देश के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं. चमगादड़ों को अशुभ मानने के बावजूद भी इस गांव के लोग इनकी पूजा करते हैं.
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बिहार के एक गांव में होती है चमगादड़ों की पूजा
दरअसल, बिहार के वैशाली जिले में एक गांव है जिसका नाम है सरसई. सरसई गांव के लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं. यही नहीं इस गांव में चमगादड़ों के लिए एक मंदिर बनाया गया है. जिसमें लोग चमगादड़ों की पूजा करने के लिए जाते हैं. यहां के लोग चमगादड़ों को ग्राम देवता मानते हैं. इसीलिए यहां चमगादड़ों की पूजा करने की परंपरा है. बता दें कि इस गांव के लोग चमगादड़ को संपन्नता की प्रतीक मानते हैं. लोगों का ऐसा मानना है कि जहां चमगादड़ रहती हैं वहां कभी भी धन दौलत की कमी नहीं होती. बताया जाता है कि सरसई गांव में हजारों की संख्या में चमगादड़ों का बसेरा है.
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बता दें कि चमगादड़ों के वजह से ही ये गांव काफी प्रसिद्ध हो गया है. ग्रामीण मानने हैं कि चमगादड़ों की वजह से ही पूरे गांव की रक्षा होती है. यही नहीं चमगादड़ों को देखने के लिए इस गांव में काफी संख्या में पर्यटक भी पहुंचते हैं. सरसई गांव के लोगों का कहना है कि जब से उनके गांव में चमगादड़ों का बसेरा हुआ है तब से गांव में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं.
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बता दें कि इस गांव के लोग किसी भी शुभ कार्य को शुरु करने से पहले चमगादड़ों की पूजा करते हैं. बताया जाता है कि इस गांव में चमगादड़ कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते. यही नहीं जब भी कोई बाहरी व्यक्ति रात के समय इस गांव में आ जाता है तो चमगादड़ शोच मचाने लगती है. जिससे लोग सचेत हो जाते हैं. हैरानी की बात तो ये है कि जब रात के वक्त इस गांव का कोई शख्स गांव में प्रवेश करता है तो चमगादड़ चुपचाप रहते हैं.
Source : News Nation Bureau