जमानती वारंट एक कानूनी दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी से बचाने के लिए जारी किया जाता है। यह आमतौर पर तब जारी किया जाता है जब कोई व्यक्ति जमानत जमा करता है, जो एक निश्चित राशि है जो अदालत में जमा की जाती है। यदि व्यक्ति अदालत में पेश नहीं होता है, तो जमानत राशि जब्त कर ली जाती है। जमानती वारंट एक क़ानूनी दस्तावेज़ होता है जिसे अदालत द्वारा जारी किया जाता है। इस दस्तावेज़ के जरिए व्यक्ति को अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार जमानत की जा सकती है। इसका प्रयोग अक्सर वह समय होता है जब किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार किया जाता है, लेकिन उसे अदालत द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया जाता है, परन्तु वह अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करना होता है। यह एक सुरक्षा का उपाय होता है जो गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को अपनी आज़ादी सुनिश्चित करता है, लेकिन उसे कुछ नियमों और शर्तों का पालन करना पड़ता है। आपको बता दें कि हाल ही में बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ जमानती वारंट जारी किये गए थे.
जमानती वारंट दो प्रकार के होते हैं
न्यायिक जमानती वारंट: यह वारंट न्यायाधीश द्वारा जारी किया जाता है।
पुलिस जमानती वारंट: यह वारंट पुलिस अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है।
जमानती वारंट में ये वारंट जारी करने वाले अधिकारी का नाम, व्यक्ति का नाम जिसके खिलाफ वारंट जारी किया गया है, अपराध का विवरण और जमानत राशि लिखी होती है. इसके अलावा अदालत में पेश होने की तारीख और समय भी लिखा होता है.
जमानती वारंट प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को ये करना होगा: एक जमानत याचिका दायर करें, जमानत राशि जमा करें, अदालत में पेश हों, जमानती वारंट जारी होने के बाद, व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि, अगर व्यक्ति अदालत में पेश नहीं होता है, तो जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी और व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है।
जमानती वारंट के कुछ लाभ
यह व्यक्ति को गिरफ्तारी से बचाता है.
यह व्यक्ति को अदालत में पेश होने का समय देता है.
यह व्यक्ति को अपनी जमानत जमा करने का मौका देता है.
जमानती वारंट के कुछ नुकसान
यह महंगा हो सकता है.
यह व्यक्ति को अदालत में पेश होने के लिए बाध्य करता है.
यह व्यक्ति को गिरफ्तारी से पूरी तरह से नहीं बचाता है.
यह सलाह दी जाती है कि यदि आपको जमानती वारंट जारी किया गया है, तो आप एक वकील से सलाह लें.
Source : News Nation Bureau