गुजरात के बनासकांठा जिले की 27 वर्षीय महिला ने अस्पताल पहुंचने में देरी होने के चलते सोमवार को मृत शिशु को जन्म दिया. महिला के रिश्तेदारों का आरोप है कि पुलिस द्वारा उनका वाहन रोके जाने के कारण यह देरी हुई. उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उनकी गाड़ी को इसलिए रोका क्योंकि चालक ने मास्क नहीं पहना हुआ था. राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा हस्तक्षेप के बाद बनासकांठा जिला पुलिस ने कथित घटना की जांच शुरू कर दी है. महिला आयोग की सदस्य राजुल देसाई ने गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शिवानंद झा को ईमेल लिखा और इस मुद्दे पर पुलिस महानिरीक्षक (सीमा रेंज), सुभाष त्रिवेदी के साथ चर्चा भी की.
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देसाई ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया, “राष्ट्रीय महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद, बनासकांठा पुलिस ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है.” देसाई ने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक ने उन्हें फोन पर बताया है कि घटना में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा, “सोमवार को रात आठ बजे, जिला पुलिस अधीक्षक (तरुण दुग्ग्ल) ने मुझे फोन किया और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया.” देसाई ने कहा कि एसपी ने मुझे बताया कि जांच शुरू हो गई है और पुलिस सीसीटीवी फुटेज हासिल करने की कोशिश कर रही है.
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उन्होंने कहा, “महिला के रिश्तेदारों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं और पुलिस मंगलवार को महिला का बयान भी लेगी.” राधा राबारी के रिश्तेदारों ने कहा कि पुलिस ने अगर आपात स्थिति को समझा होता तो महिला ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया होता. उन्होंने कहा कि पुलिस ने चालक के मास्क न पहनने के चलते गाड़ी को काफी देर तक रोककर रखा और उसे 200 रुपये जुर्माना भरने को कहा.
महिला के रिश्तेदार, नरन राबारी ने आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिसकर्मियों को चिकित्सीय आपात स्थिति के बारे में बताया लेकिन पुलिसवालों ने सुना नहीं. साथ ही बताया कि उन्हें अंबाजी पुलिस थाने ले जाया गया और फिर वहां से जांच चौकी पर छोड़ दिया गया. इस देरी के कारण वे देर से पाटन पहुंचे और राधा ने मृत शिशु को जन्म दिया. इस बीच, गुजरात के राज्य महिला आयोग ने भी इस घटना का संज्ञान लिया है और इसकी प्रमुख लीलाबेन अंकोलिया ने कहा कि आयोग ने पुलिस से रिपोर्ट मांगी है.
Source : Bhasha