इस धरती पर रहने वाले ज्यादातर इंसान सिर्फ अपने और अपने परिवार के हितों के बारे में ही सोचते हैं. हालांकि, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है दुनिया में दूसरों की मदद करने वालों की कोई कमी है. लेकिन, यदि कोई शख्स केवल दूसरों के लिए ही काम करे.. ऐसे व्यक्ति लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में एक होते हैं. जी हां, आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए खेतों में पसीना बहाते हैं. खास बात ये है कि उन्हें उनकी मेहनत का कोई मेहनताना भी नहीं मिलता लेकिन जो संतुष्टि, तसल्ली और दुआएं मिलती हैं, शायद वो किसी और को न मिले.
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तमिलनाडु के थोंदामुथुर के रहने वाले मुथु मुरुगन न तो अपने लिए खेती करते हैं और न ही किसी दोस्त या रिश्तेदार के लिए करते हैं. मुथु एक ऐसे शख्स हैं जो पक्षियों के लिए खेती करते हैं. जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना. पक्षियों के लिए खेती करने वाले मुथु अब 62 साल के हैं और वे 1990 से खेती करते आ रहे हैं. उन्होंने अपनी आधा एकड़ जमीन पर सिर्फ पक्षियों के लिए बाजरा और अन्य दाने वाली फसलें लगाई हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि मुथु ने कभी भी खेतीबाड़ी में खाद या पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल नहीं किया.
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एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक मुथु पहले अपने खेतों के किनारे-किनारे ही पक्षियों के लिए फसलें लगाते थे. फिर बाद में वे समय के साथ-साथ आगे बढ़े और अपने आधे खेत में पक्षियों के लिए फसलें लगाना शुरू कर दिए. मुथु ने बताया कि अप्रैल महीने में उन्होंने आधे एकड़ खेत में बाजरा और अन्य चारा लगाया था. करीब एक महीने के बाद फसलें तैयार हो गईं, जिसके बाद उनके खेत में चारा खाने के लिए सैकड़ों पक्षी आने लगे और कुछ समय बाद उनके खेत में लगी सारी फसलें खत्म हो गईं.
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मुरुगन ने बताया कि उनके खेतों में चारा खाने के लिए कई दुर्लभ प्रजाति के भी पक्षी आते हैं. पक्षियों को लेकर काफी चिंतित रहने वाले मुथु ने बताया कि हमारे देश में आए दिन शेर, बाघ और हाथी जैसे जानवर भोजन न मिलने की वजह से मर जाते हैं. उन्होंने कहा कि ठीक उसी तरह पक्षियों के बारे में भी सोचना चाहिए. यही वजह है कि उन्होंने पक्षियों के भोजन के लिए अपने खेत में फसलें लगाना शुरू कर दिया.
Source : News Nation Bureau