किसी इंसान की मृत्यु के बाद शवयात्रा और अंतिम संस्कार होता है. किसी की अंतिम यात्रा में पुरुष तो जा सकते हैं, मगर महिलाओं का श्मशान घाट तक जाना वर्जित माना जाता है. लेकिन अब तक चली आ रही रूढ़ियों को तोड़ मथुरा में एक महिला कांस्टेबल ने अज्ञात युवती के शव का अंतिम संस्कार किया. उन्होंने कहा कि हर मृत व्यक्ति सम्मान का हकदार होता है. युवती का शव 11 अप्रैल को नहर में मिला था. कोसीकलां पुलिस स्टेशन में तैनात 25 वर्षीय शालिनी वर्मा ने कहा कि युवती का मृत शरीर खराब हो चुका था और इसकी पहचान नहीं हो सकी थी. इसलिए उन्होंने युवती को सम्मानजनक विदाई देने का फैसला किया.
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श्मशान के पुजारी ने उसे अज्ञात युवती की चिता को जलाने से रोकने की कोशिश की, और इसका विरोध किया. हालांकि, पुजारी के तर्क और विरोध के बावजूद, वर्मा ने अपने हाथों से उस महिला का अंतिम संस्कार कर दिया. बुलंदशहर की रहने वाली शालिनी ने कहा, 'हर मृत व्यक्ति सम्मान का हकदार है.'
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शालिनी पहले कोविड-19 से संक्रमित थी और उन्होंने कहा कि उन्हें संकट के इस समय में अंतिम संस्कार करने से कोई डर नहीं था. अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर, उन्होंने कहा कि समाज की रूढ़िवादी मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है कि अंतिम संस्कार एक महिला द्वारा नहीं किया जा सकता है या वे एक श्मशान भूमि का दौरा नहीं कर सकती.
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उन्होंने आगे कहा, 'मैंने किताबें पढ़ी हैं और तथ्य यह है कि महिलाएं डर की वजह से श्मशान घाट नहीं जाती हैं.' एक किसान की बेटी शालिनी 2016 में पुलिस में शामिल हुई थी और प्रशिक्षण के बाद वह सितंबर 2017 में कोसीकलां में तैनात हुईं. उनकी एक छोटी बहन है जो अपने गृहनगर में पोस्ट-ग्रेजुएशन कर रही है.
HIGHLIGHTS
- महिला कांस्टेबल ने किया शव का अंतिम संस्कार
- बीते हफ्ते नहर में मिला था युवती का शव
- परिजनों का पता नहीं लगा पाई थी पुलिस