क्या इस गर्मी में हिमालय के ग्लेशियर्स रिकॉर्ड नुकसान होने वाला है? क्या बढ़ते तापमान से ग्लेशियर्स पिघलने की रफ्तार दोगुनी होने वाली है? ये सवाल पूछे जा रहे हैं जलते जंगलों की वजह से. आखिर दावानल और पिघलते ग्लेशियर्स का कनेक्शन क्या है? पहाड़ों में धू-धू कर जलते जंगल बड़ी तबाही का संकेत दे रहे हैं. देवभूमि में जंगल की आग पूरे इलाके के संतुलन को बिगाड़ सकती है. जलते जंगल इस इलाके में गर्मियों के दौरान कयामत का सबब बन सकते हैं. आग की बढ़ती मुसीबत के बीच हिमालय क्षेत्र में बार बार एक सवाल पूछा जा रहा है .
क्या पहाड़ों में 'ब्लैक कार्बन' से मचेगा कोहराम?
आखिर ये ब्लैक कार्बन है क्या? और इसका जंगल की आग से इसका कनेक्शन क्या है? इसका सवाल का जवाब जानने से पहले इस आग से पैदा होने वाले खतरों की बात कर लेते हैं.
क्या जंगल की आग से ग्लेशियर झीलों के फूटने का खतरा बढ़ गया है? ग्लेशियर झीलों का फूटना...उत्तराखंड जैसी पहाड़ी राज्यों के लिए बेहद खतरनाक होता है. जब विनाश की झीलों का कहर बरपता है तो भयंकर तबाही होती है . उत्तराखंड में कई बार इस तरह की आफत आ चुकी है.
चमोली जैसे खतरे को और विकराल बना रहे जलते जंगल
क्या जलते जंगल....चमोली जैसे खतरे को और विकराल बना रहे हैं. चमोली में 2021 में ग्लेशियर झील तबाही का सबब बन गई थी . क्या 2024 में 2021 वाली तबाही आने वाली है. ये दो तस्वीरें बड़ी बर्बादी के खतरे की घंटी बजा रही है. ग्लेशियर झीलों के फूटने का खतरा इसलिए बढ़ता जा रहा है क्योंकि जलते जंगल इलाके में ग्लेशियर्स के वजूद के लिए खतरनाक हैं . जानकारों का कहना है कि दावानल की वजह से ग्लेशियर्स के पिघलने की रफ्तार बढ़ती है और पिघलते ग्लेशियर्स ग्लेशियर झीलों के फूटने की वजह बनते हैं.
वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की मात्रा में इजाफा
जलते जंगलों की वजह से वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की मात्रा में इजाफा होता है. वर्ल्ड बैंक की एक स्टडी के मुताबिक ब्लैक कार्बन ग्लेशियर्स की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं. ब्लैक कार्बन की मौजूदगी से तापमान में इजाफा होता है और इसकी वजह से तेजी से ग्लेशियर पिघलते हैं. कुल मिलाकर ये आग पूरे पहाड़ी इलाकों के संतुलन के लिए खतरनाक हैं. पिछले कुछ सालों में देखा जा चुका है कि जंगल की आग की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है .पिछले 6 महीने के दौरान उत्तराखंड में आग से एक हजार से ज्यादा हेक्टेयर में जंगल तबाह हो चुके हैं
जंगलों में 880 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं..जो स्टडी सामने आ रही है...उससे साफ हो चुका है कि जंगल की आग का असर व्यापक है . पहाड़ी इलाकों में बड़ी तबाही का अलार्म बज रहा है . ग्लेशियर्स की सेहत बिगड़ती जा रही है .
Source : News Nation Bureau