मशहूर शायर, गीतकार और लेखक मुनव्वर राणा हमारे बीच नहीं रहे. 14 जनवरी की रात उनका निधन हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन से शेरों-शायरी की दुनिया को गहरा धक्का लगा है. उनके जाने से फिल्म जगत से लेकर उनके चाहने वालों में गम का माहौल है. उनके एकाएक जाने से फैंस बेहद दुख में हैं. प्रधानमंत्री ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है. मुनव्वर राणा भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी शायरी लोगों के दिलों-दिमाग में जिंदा है. उन्होंने अपनी कविताओं और गीतों के जरिए भारतीय साहित्य और संस्कृति में एक नई पहचान बनाई है. मां पर लिखी उनकी कविता इतनी मार्मिक है कि लोग जब भी सुनते हैं तो भावुक हो उठते हैं. उनकी कविताएं और गीत आम जनता के बीच में बहुत लोकप्रिय हैं. मुनव्वर राणा ने मातृभूमि, मातृप्रेम, और मातृशक्ति को समर्पित कई दर्द भरी और प्रेरणादायक कविताएं रची हैं. आइए आज आपको उनकी मां पर लिखी कविता पढ़वाते हैं.
"माँ"
तू ही मेरी जीवन की पहली दौड़,
मेरी राह का सबसे प्यारा साथी।
"माँ की मुस्कान"
तेरी मुस्कान में छुपा है सब कुछ,
जीवन की राहों में एक सुखद राज।
"माँ का आँचल"
माँ का आँचल, स्वर्ग सा है,
सजीवनी है, सब बुराईयों से बचाने वाली।
"माँ के पैरों में जन्नत"
माँ के पैरों में बसा है जन्नत,
उनकी ममता से ही है सबसे मिठा इनाम।
"माँ का साया"
माँ का साया हमेशा साथ रहे,
जीवन की हर मुश्किल को आसान बना दे।
"माँ की बहन"
माँ की बहन, हमारी सहेली,
जीवन की सारी बातें कही जा सकती हैं उससे।
"माँ का दुलार"
माँ का दुलार, स्वर्ग से कम नहीं,
उनका प्यार ही हमारी जीवन शक्ति है।
"माँ की गोदी"
माँ की गोदी, स्वर्ग सा सुहावना,
उसमें ही हमारी सभी छोटी-बड़ी खाने मिलती हैं।
"माँ का आँचल"
माँ का आँचल, सबसे सुरक्षित स्थान,
वहां से शक्ति मिलती है हर कदम पर।
"माँ की बातें"
माँ की बातें, सबसे प्यारी,
उनकी ममता में ही हमारी खोई हुई मुस्कान लौटती है।
इन कविताओं में मुनव्वर राना ने मातृभूमि के प्रति अपनी अद्वितीय भावनाएं व्यक्त की हैं और उनकी कल्पना और शब्दों का उपयोग एक सुंदर रूप में हुआ है. आप भी इस कविता को गुनगुना कर या पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
Source : News Nation Bureau