सनातन धर्म में गंगा दशहरा का अपना एक अलग ही महत्व है. यही कारण है कि इस दिन लोग पुण्य अर्जित करने के लिए गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर दान करते हैं. ताज नगरी आगरा में भी सदियों से यमुना नदी में स्नान कर लोग पूजा अर्चना करते आए हैं, लेकिन पिछले कई वर्षों से यमुना नदी की प्राण सूख चुकी है. अब नदी में प्राकृतिक जल नहीं, बल्कि नालों के सीवर का पानी बहता है. मथुरा और आगरा आते-आते यमुना गंदे नाले में तब्दील हो जाती है. यमुना कनेक्टिविटी अभियान के तहत आज यमुना भक्तों ने गंगा दशहरा के अवसर पर यमुना की रेत से स्नान किया.
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नहीं मिला पानी तो रेत से किया स्नान
यमुना भक्तों की पीड़ा यह है कि तमाम प्रयासों और जद्दोजहद के बावजूद भी आगरा में बैराज का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जबकि यह ताजमहल के लिए भी बहुत ही जरूरी है. इसलिए आज हम यमुना नदी में उतर कर उनकी रज (रेज) से ही स्नान कर रहे हैं. इन लोगों ने बताया कि आगरा में पानी के लिए लोगों ने कई बार आवाज उठाई, लेकिन हर बार अधिकारियों की तरफ से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा. उन्होंने बताया कि हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी आगरा आकर यमुना मैं शीघ्र पानी छोड़े जाने की बात कही थी, लेकिन उनके आदेश के बाद भी आज तक यमुना मेंपानी नहीं छोड़ा गया. हालात ये है कि बेचारी कालिंदी पानी की कमी की वजह से लगातर दम तोड़ती जा रही है.
यमुना को बचाने के लिए उठाई आवाज
यमुना की बदतर हालत पर अधिकारियों के कानों पर भले जूं नहीं रेंगती तो, जनता एक बार फिर यमुना को बचाने के लिए तरह-तरह से प्रयास कर रही है. आज यमुना की रेत से स्नान कर ये लोग शायद यही अधिकारियों और सरकार को बताना चाहते हैं कि आँखें खोलिए और यमुना को बनाइए वर्ना वो दिन दूर नहीं, जब कल-कल बहती कालिंदी अपना वज़ूद ही खो देगी.
HIGHLIGHTS
- जल संकट से जूझ रही यमुना नदी को बचाने के लिए अनोखा प्रयास
- प्रशासन से बार-बार अपील के बाद में आगरा में नहीं बना बैराज
- यमुना में जल नहीं होने से नाराज भक्तों ने रेत से किया स्नान
Source : Vineet Dubey