इंस्टाग्राम रील्स के जरिए 18 साल बाद मिला गुमशुदा भाई, बहन ने बताई पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक हैरतअंगेज खबर सामने आई है. जहां एक लड़की ने इंस्टाग्राम रील के जरिए 18 साल बाद अपने गुमशुदा भाई को ढूंढ निकाला..

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Sourabh Dubey
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kanpur news ( Photo Credit : social media)

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उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक हैरतअंगेज खबर सामने आई है. जहां एक लड़की ने इंस्टाग्राम रील के जरिए 18 साल बाद अपने गुमशुदा भाई को ढूंढ निकाला.. मिली जानकारी के मुताबिक, हाथीपुर गांव की रहने वाली राजकुमारी इंस्टाग्राम रील्स पर स्क्रॉल कर रही थी, तभी उसे एक जाना पहचाना चेहरा अपनी मोबाइल स्क्रीन पर नजर आया.. जब उसने गौर किया तो, उसके गुमशुदा भाई की तरह ही इस युवक का एक दांत भी हूबहू टूटा हुआ था. लिहाजा राजकुमारी ने वीडियो में नजर आ रहे युवक की शिनाख्त शुरू की.

पता चला कि, ये वीडियो जयपुर की है. जब राजकुमारी ने इस युवक का अकाउंट खोलकर देखा तो, उसमें अलग-अलग समय पर जयपुर की तमाम जगहों से जुड़ी वीडियो अपलोड की थी, मतलब साफ था कि, हो न हो ये युवक जयपुर का रहने वाला है, जिसकी पहचान बाल गोविंद के तौर पर हुई.

इसके बाद राजकुमारी ने इंस्टाग्राम के जरिए गोविंद से संपर्क किया और दोनों ने अपने बचपन से जुड़ी कई सारी बातें शेयर की.. फिर कॉल के जरिए राजकुमारी ने अपने भाई से घर लौटने की गुहार लगाई, जिसपर बाल गोविंद ने फौरन हामी भर दी.

फिर 20 जून को, गोविंद 18 साल के गुमशुदा जीवन के बाद आखिरकार अपनी बहन से मिलने हाथीपुर पहुंचा. इस मंजर को देखकर न सिर्फ उसके परिवार वाले, बल्कि गांव का हर शख्स भावुक हो गया. 

हालांकि फिलहाल गोविंद को फिलहाल अपने परिवार के सदस्यों को पहचानने में मुश्किल हो रही है, लेकिन वह लोगों के साथ जुड़ने की लगातार कोशिश कर रहा है.  

आखिर कैसे 18 साल पहले परिवार से अलग हुआ गोविंद

अठारह साल पहले, बाल गोविंद फतेहपुर के इनायतपुर गांव से मुंबई में नौकरी के लिए गया था, लेकिन कभी वापस नहीं लौटा. मुंबई पहुंचने के बाद उसने अपने दोस्तों को छोड़ दिया और दूसरी जगह नौकरी करने लगा. शुरुआत में वह अपने दोस्तों के संपर्क में रहा, लेकिन धीरे-धीरे सारा संपर्क टूट गया. उनके सभी दोस्त अपने गांव लौट गए, लेकिन बाल गोविंद मुंबई में रहा...

उनके जीवन में एक अप्रत्याशित मोड़ तब आया, जब उसने बीमार पड़ने पर घर वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ने का फैसला किया. ट्रेन उसे कानपुर की बजाय जयपुर ले गई. थके हुए और भटके हुए बाल गोविंद की मुलाकात रेलवे स्टेशन पर एक आदमी से हुई, जिसने उनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर उसे एक फैक्ट्री में नौकरी दिला दी. 

धीरे-धीरे उसकी हालत में सुधार हुआ और वे जयपुर में जीवन बसर करने लगे. उसने ईश्वर देवी नाम की लड़की से शादी की और उसके दो बच्चे हुए. बहुत कुछ बदल गया, सिवाए उसके टूटे हुए दांत के लिहाजा जब उसकी इंट्राग्राम रील राजकुमारी के सामने आई, तो उसने उसे फौरन पहचान लिया...

Source : News Nation Bureau

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