आपको भी इंजेक्शन लगवाने से डर लगता है तो घबराने की जरुरत नहीं है. बेसिकली यह एक फोबिया है. सुई के बारे में सोचने से जहन में डर पैदा हो जाता है. खासकर बच्चों में ये डर पाया जाता है. कुछ उम्रदराज लोग भी सुई से काफी डरते हैं. साथ ही डॅाक्टर को देखते ही चिल्लाने लगते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि इंजेक्शन के बारे में सोचना बंद कर दें तो यह डर समाप्त हो सकता है. यानि बच्चे को समझाकर भी इसका डर निकाला जा सकता है. साथ ही बड़ों को सुई के बारे मे ज्यादा सोचने की जरुरत नहीं है. आप (Vaccination) के प्रति कैसा महसूस करते हैं और कैसा रिएक्शन देते हैं. इसलिए नकारात्मक अनुभव की संभावना को कम करना जरूरी है. जानिए माता-पिता अपने बच्चे को कोविड-19 टीका (Covid-19 Vaccine) या अन्य इंजेक्शन (Injection) के लिए तैयार करने में मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं?
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दरअसल, ज्यादातर बच्चे सुइयों से डरते हैं. लेकिन कुछ बच्चों के लिए ये डर ज्यादा गंभीर होता है और इसे वैक्सीन फोबिया (Vaccine Phobio) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. वैक्सीन फोबिया किसी सुई को देखना या उसे लगवाने को लेकर बहुत डरावनी या परेशान करने वाली प्रतिक्रिया है. उदाहरण के लिए- सैंपल के लिए खून लेना या इंजेक्शन लगाना. चिंता और डर खतरे के मुकाबले से बहुत ज्यादा होता है. ऐसे लोग जितना संभव हो सके सुइयां लगवाने से बचने की कोशिश करते हैं.
इन बच्चों को लगता है सुई से ज्यादा डर
रिपोर्ट के अनुसार, चार से 6 साल की उम्र के पांच बच्चों में से लगभग (19 प्रतिशत) को सुई का फोबिया है. साथ ही ये 10-11 साल की उम्र तक घटकर नौ में से (11प्रतिशत) हो जाता है. वयस्कों में लगभग 3.5 से 10 प्रतिशत को सुई फोबिया होता है. बच्चों में ये डर पूर्व में हुई खून की जांचें, इंजेक्शन लगवाने और अन्य मेडिकल ट्रीटमेंट के कारण हो सकता है.
HIGHLIGHTS
- एक्सपर्ट के मुताबिक ये एक फोबिया है
- 6 से 8 साल की उम्र के बच्चों को रहता है ज्यादा फोबिया
- मेडिकल साइंस में ये वजह आई सुई डरने की सामने
Source : News Nation Bureau