Lok Sabha Deputy Speaker: देश की अट्ठारहवीं संसद में लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर चहक काफी बवाल मचा हुआ है. कयास भी लगाए जा रहे थे, लेकिन इन कयासों को साइड करते हुए एनडीए ने ओम बिरला को ध्वनिमत से स्पीकर चुन लिया. लेकिन अब ऐसे में डिप्टी स्पीकर को लेकर पेंच फंसा हुआ है. दरअसल, डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ है और कांग्रेस ने इस बार के लोक सभा चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. ऐसे में कांग्रेस चाहती है की विपक्ष के किसी सांसद को ये पद दिया जाए. सत्रहवीं लोकसभा साल 2019 से 2024 तक ये पद खाली रहा था, लेकिन कांग्रेस इस बार अपने किसी नेता को डिप्टी स्पीकर बनाने पर अड़ी हुई है.ऐसे में सवाल ये बना हुआ है की आखिर इस पद के लिए कांग्रेस क्यों अड़ गई है और डिप्टी स्पीकर के पास क्या अधिकार होते है? ये पद क्यों अहम है? डिप्टी स्पीकर का चुनाव कब होता है? तो चलिए इन सवालों के जवाब इस वीडियो में जानने की कोशिश करते है.
इसलिए डिप्टी स्पीकर का पद चाहता है विपक्ष
स्पीकर की गैर मौजूदगी में सदन की अध्यक्षता संभालते वक्त डिप्टी स्पीकर के पास वही सारे अधिकार होते हैं, जो स्पीकर के पास होते हैं. अगर स्पीकर अपने पद से हटना चाहते हैं तो उन्हें अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर को सौंपना होता है. विपक्ष पिछले दो चुनावों के तुलना में ज्यादा मजबूत है. यही वजह है कि कांग्रेस डिप्टी स्पीकर का पद चाहती है. स्पीकर का चुनाव कैसे हुआ? अब ये जान लेते हैं. दरअसल लोकसभा स्पीकर के लिए सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने ओम बिरला का नाम आगे किया और विपक्षी दल के इंडिया गठबंधन की तरफ से के. सुरेश का नाम आगे किया गया. हालांकि ध्वनिमत से ओम बिरला के रूप में स्पीकर का चयन हो गया और मतदान की जरूरत नहीं पड़ी. चुनाव के बाद विपक्षी नेताओं ने कहा कि वो सहयोग की भावना के साथ काम करना चाहते हैं और विपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं.
कब स्पीकर कि जिम्मेदारी निभाता है डिप्टी स्पीकर
ऐसे में विपक्ष चाहता है कि डिप्टी स्पीकर का पद उसे दे दिया जाए. लेकिन मतदान होने पर बहुमत एनडीए के पास है और डिप्टी स्पीकर भी एनडीए का ही बन सकता है. अगर सत्ता पक्ष अपना उम्मीदवार ना उतारे तो विपक्ष का डिप्टी स्पीकर बन सकता है. तो चलिए अब जानते हैं कि इस पद के लिए कांग्रेस क्यों अड़ी हुई है. उसके पास क्या अधिकार होते हैं? दरअसल स्पीकर की गैरमौजूदगी में डिप्टी स्पीकर ही उनका कैंप संभालता है और उसके पास स्पीकर के सारे अधिकार होते हैं. अगर स्पीकर इस्तीफा देते तो वो अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर को ही सौंपते हैं. अगर किसी विषय पर पक्ष और विपक्ष में पड़े वोट बराबर होते हैं तो स्पीकर की तरह डिप्टी स्पीकर का वोट भी निर्णायक होता है.
17वीं लोकसभा में खाली रहा डिप्टी स्पीकर का पद
संविधान के अनुसार नई सरकार को जल्द से जल्द स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन कर लेना चाहिए. हालांकि इसके लिए कोई लिखित समय सीमा नहीं है. इसी वजह से पिछले कार्यकाल में एनडीए सरकार ने डिप्टी स्पीकर के पद पर पद खाली छोड़ दिया था. विपक्ष ने इसकी मांग की थी, लेकिन एनडीए इसके लिए सहमत नहीं हुआ. इससे पहले आठ बार सत्ताधारी दल का स्पीकर चुना जा चुका है और 11 बार विपक्ष का डिप्टी स्पीकर रहा है. अब ऐसे में देखने वाली बात ये होगी की आखिर कौन बनता है डिप्टी स्पीकर?
Source : News Nation Bureau