हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि जब किसी व्यक्ति की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो वह भूत बन जाता है. क्या सचमुच ऐसा कुछ होता है? इस खबर में हम जानेंगे कि इसके पीछे की सच्चाई क्या है? भूत-प्रेतों से जुड़ी कहानियों और मान्यताओं का एक लंबा इतिहास है, जो विभिन्न संस्कृतियों और समाजों में पाई जाती हैं. बता दें कि दुर्घटनाओं में मारे गए लोग भूत बन जाते हैं, यह एक मान्यता है जो खासतौर पर भारतीय समाज में प्रचलित है. इस मान्यता के पीछे कई कहानियां और मान्यताएं हैं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं. इन मान्यताओं के पीछे कई सांस्कृतिक, धार्मिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं.
क्या सच में एक्सीडेंट में मारे गए लोग भूत बनते हैं?
भारतीय संस्कृति में आत्माओं और भूतों के बारे में कई कहानियां और लोककथाएं हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग अचानक, अप्राकृतिक या दुखद रूप से मर जाते हैं उनकी आत्माओं को अक्सर शांति नहीं मिलती है और वे अधूरे काम को पूरा करने या अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए भूत बनकर लौट आते हैं.
हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि आत्मा अमर होती है और शरीर को छोड़ने के बाद भी जीवित रहती है. अगर आत्मा की मृत्यु से पहले कुछ इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं या उसे किसी तरह का कष्ट होता है, तो वह भटकती रहती है. एक्सीडेंट में मारे गए लोग अक्सर अचानक और दर्दनाक तरीके से मरते हैं, जिससे उनकी आत्माएं भटक सकती हैं.
इसे लेकर क्या कहता है साइंस?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भूतों और आत्माओं का अस्तित्व अब तक सिद्ध नहीं हो पाया है. विज्ञान के अनुसार, भूत-प्रेत की घटनाएं अक्सर मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारकों का परिणाम होती हैं. उदाहरण के लिए, कम रोशनी, थकान, और मानसिक तनाव जैसे कारक भ्रम पैदा करते हैं, जिससे लोग भूतों को देखने या महसूस करने का दावा करते हैं. साथ ही साइंस ये बिल्कुल नहीं मानता है कि एक्सीडेंट में मरने के बाद लोग भूत बनते हैं.