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What is 72 hoorane : जन्नत में मिलती हैं 72 हूरें...आखिर सच में ऐसा होता है कुछ?

क्या जन्नत में 72 हूरें मिलती हैं? यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है. इसका जिक्र अक्सर लोगों द्वारा देखा जाता है. इस खबर में हम जानेंगे कि क्या इस्लाम में ऐसा कुछ होता है?

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Ravi Prashant
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What is 72 hoorane

मिलती हैं 72 हूरें (NN/AI)



आपने सोशल मीडिया पर कई ऐसे वायरल वीडियो में देखे होंगे, जिसमें 72 हुरों की जिक्र मिलता है. ऐसे में ये जानने की कोशिश की आखिर क्या है? हमने इस संबंध में एआई से मदद लिया और एआई से पूछा कि इस्लाम में 72 हूरें की मतलब क्या होता है? इस्लाम में 72 हूरों का जिक्र अक्सर एक मिथक और लोकप्रिय संस्कृति में मौजूद कई गलतफहमियों के कारण होता है. इस धारणा को समझने के लिए हमें इस्लामी धार्मिक ग्रंथों और उनके ऐतिहासिक संदर्भों पर ध्यान देना होगा.

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क्या कुरान में कहीं जिक्र? 

कुरान, इस्लाम का पवित्र ग्रंथ, और हदीस, पैगंबर मुहम्मद की कथनों का संग्रह, में हूरों का उल्लेख मिलता है.हूरों का ज़िक्र विशेष रूप से स्वर्ग के निवासियों के रूप में किया गया है. कुरान में हूरों को स्वर्ग के बागों में रहने वाले, सुंदर और पवित्र साथी के रूप में वर्णित किया गया है. वे नैतिकता और शारीरिक सौंदर्य के प्रतीक हैं. हदीस में भी हूरों का वर्णन है, जहां उन्हें मुसलमानों के लिए स्वर्ग में एक इनाम के रूप में प्रस्तुत किया गया है.

गलतफहमी है बस कुछ और नहीं

इस्लामिक ग्रंथों में कहीं भी विशेष रूप से "72 हूरों" का उल्लेख नहीं किया गया है. ये संख्या समय के साथ कुछ सांस्कृतिक और धार्मिक कथाओं से जुड़ी हो गई है. कई विद्वानों का मानना है कि यह संख्या इस्लामिक परंपराओं में गलतफहमी या अतिरंजना के कारण प्रवेश कर गई है. हूरों का उल्लेख इस्लामिक विचारधारा में स्वर्ग और आत्मिक शुद्धता के प्रतीक के रूप में होता है. ये शारीरिक और आत्मिक आनंद की अवधारणा का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये विचार इस्लामिक धर्म में इनाम और दंड की अवधारणा को भी दर्शाता है.

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कुछ लोगों ने अलग संदर्भ में किया है पेश

वर्तमान समय में हूरों की धारणा को अक्सर गलत तरीके से बताया गया है, खासकर पश्चिमी मीडिया और कुछ उग्रवादी संगठनों द्वारा. ये धारणा, जो स्वर्ग में 72 हूरों के रूप में प्रचारित की जाती है, इस्लाम के सही और गहन अध्ययन में कहीं नहीं मिलती. हूरों के संदर्भ में कई गलतफहमियां और विवाद उत्पन्न हुए हैं.

कुछ लोग इसे इस्लामी स्वर्ग की गलत व्याख्या के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे केवल सांकेतिक मानते हैं. इस्लामिक विद्वानों का मानना है कि स्वर्ग की अवधारणा अधिक जटिल और आध्यात्मिक है, जिसे केवल भौतिक आनंद के संदर्भ में सीमित नहीं किया जा सकता.

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