Advertisment

क्या मौत को मात दे सकते हैं? विज्ञान का दावा, इंसान को सालों तक जिंदा रखा जा सकता है - जानिए कैसे

अगर ये सच हुआ तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. विज्ञान ने मौत पर विजय हासिल करने के लिए ऐसी तकनीक खोज निकाली है जिसकी मदद से मौत को मात दी जा सकती है. मरने के बाद भी व्यक्ति को जिंदा रखा जा सकता है.

author-image
Inna Khosla
New Update
What is cryopreservation of humans

What is cryopreservation of humans

मौत एक अटल सत्य है जिसे कोई भी नहीं टाल सकता. इंसान कितना भी कोशिश कर ले, एक दिन उसे इस धरती से विदा लेना ही है. लेकिन सोचिए, अगर कोई कहे कि आपकी जिंदगी को बढ़ाया जा सकता है, आपकी मौत को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है, तो क्या आप इस पर विश्वास करेंगे? यह कोई अंधविश्वास नहीं बल्कि विज्ञान की नई खोज का नतीजा है. वैज्ञानिक अब ऐसे प्रयोग कर रहे हैं जिससे मरने के बाद भी इंसान को दोबारा जिंदा किया जा सके. खासतौर पर रूसी वैज्ञानिक इस क्षेत्र में सबसे आगे हैं, जिन्होंने इस प्रक्रिया को विकसित किया है.

Advertisment

मौत के बाद भी बच सकती है जान!

आप सोच रहे होंगे, यह कैसे संभव है? तो आपको बता दें कि जब इंसान की मौत होती है, तब भी उसके मस्तिष्क के कुछ हिस्से 10 मिनट तक जीवित रहते हैं. वैज्ञानिक अब इस बात का फायदा उठाकर मृत शरीर को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं. इस प्रक्रिया में शरीर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखते हुए उसे फिर से सक्रिय करने की योजना है. लेकिन यह तभी संभव है जब मस्तिष्क पूरी तरह से मृत न हो. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इंसान की मौत दो प्रकार की होती है - बायोलॉजिकल डेथ और ब्रेन डेथ.

बायोलॉजिकल डेथ और ब्रेन डेथ

बायोलॉजिकल डेथ वह अवस्था है जब इंसान के दिल की धड़कन रुक जाती है, सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं, और शरीर निष्क्रिय हो जाता है. लेकिन इस प्रकार की मौत में मस्तिष्क कुछ समय तक काम करता रहता है. दूसरी ओर, ब्रेन डेथ वह स्थिति है जब व्यक्ति का मस्तिष्क पूरी तरह से बंद हो जाता है. इसका मतलब यह है कि उस व्यक्ति के पुनर्जीवित होने की संभावना नहीं होती.

क्रायोप्रिजर्वेशन: मौत को टालने की तकनीक

क्रायोप्रिजर्वेशन वह तकनीक है जिसके द्वारा इंसान की कोशिकाओं को बेहद कम तापमान पर संरक्षित किया जा सकता है. इस तकनीक में इंसान के शरीर को -196 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर संरक्षित किया जाता है ताकि उसे जीवित रखा जा सके. यदि किसी व्यक्ति को लाइलाज बीमारी हो, तो वह अपना शरीर क्रायोप्रिजर्व करवा सकता है और जब बीमारी का इलाज खोज लिया जाएगा, तब उसे वापस जीवित कर दिया जाएगा.

इस तकनीक में व्यक्ति के पूरे शरीर या सिर्फ सिर को सुरक्षित रखा जा सकता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि भविष्य में ऐसी तकनीकें विकसित होंगी जो सिर को दूसरे शरीर से जोड़ सकेंगी और व्यक्ति को एक नई जिंदगी मिल सकेगी.

क्या यह तकनीक नैतिक है?

सवाल यह उठता है कि क्या हमें प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़ करनी चाहिए, क्या हमें अपनी आयु को कृत्रिम तरीके से बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए... इसका जवाब इतना सीधा नहीं है. अगर हर कोई मौत को टालने की कोशिश करे तो क्या धरती इतनी बड़ी आबादी का भार सहन कर पाएगी क्या आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्याप्त संसाधन बचे रहेंगे. विज्ञान ने आज हमें ऐसी तकनीकें दी हैं जो मौत को टालने का दावा करती हैं, लेकिन यह सोचना जरूरी है कि क्या हमें अपने जीवन को प्राकृतिक रूप से जीना चाहिए या फिर विज्ञान के सहारे अपनी जिंदगी को और लंबा करने का प्रयास करना चाहिए. शायद हमें प्रकृति के नियमों का सम्मान करना चाहिए और जीवन को उस रूप में स्वीकार करना चाहिए जैसा वह हमें मिलता है.

death Science
Advertisment