आत्मा के मरने के बाद कहां जाती है, इस सवाल का उत्तर विभिन्न धार्मिक, दार्शनिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोणों के अनुसार अलग-अलग होता है. यह एक गूढ़ और जटिल प्रश्न है, जिसका उत्तर धार्मिक मान्यताओं और विश्वासों के आधार पर भिन्न हो सकता है. यहां कुछ प्रमुख दृष्टिकोण दिए गए हैं.
1. हिंदू धर्म
हिंदू धर्म में आत्मा को अविनाशी माना गया है. शरीर के मरने के बाद आत्मा का पुनर्जन्म होता है, जिसे पुनर्जन्म कहा जाता है. इस सिद्धांत के अनुसार, आत्मा का जन्म और मृत्यु का चक्र चलता रहता है, जब तक वह मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेती. हिंदू धर्म में आत्मा अपने कर्मों के आधार पर नए शरीर में जन्म लेती है. अच्छे कर्म करने पर आत्मा को बेहतर जन्म मिलता है, जबकि बुरे कर्म करने पर उसे निम्न जीवन मिलता है.
ये भी माना जाता है कि आत्मा जब सारे बंधनों और कर्मों से मुक्त हो जाती है, तो वह मोक्ष प्राप्त करती है और पुनर्जन्म के चक्र से बाहर हो जाती है. इसे परम शांति और ब्रह्म (ईश्वर) के साथ एकाकार होने की अवस्था मानी जाती है.
2. बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म में भी पुनर्जन्म का सिद्धांत माना गया है, लेकिन आत्मा को स्थायी या अविनाशी नहीं माना जाता. यहां आत्मा के बजाय चेतना (कर्म और विचारों की ऊर्जा) का पुनर्जन्म होता है. यह पुनर्जन्म तब तक चलता रहता है जब तक व्यक्ति निर्वाण प्राप्त नहीं कर लेता है. साथ ही जब व्यक्ति अपने कर्मों और इच्छाओं से मुक्त हो जाता है, तो वह निर्वाण प्राप्त करता है, जो कि जन्म और मृत्यु के चक्र का अंत है.
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3. इस्लाम
इस्लाम में आत्मा के मरने के बाद एक विशेष अवधारणा है, जिसे अख़िरत कहा जाता है. इस्लाम के अनुसार, मरने के बाद आत्मा बरज़ख नामक अंतराल में जाती है, जहां उसे कयामत तक इंतजार करना होता है. कयामत का दिन यानी जब कयामत आएगी, तब अल्लाह सभी आत्माओं का हिसाब करेंगे और उनके कर्मों के अनुसार उन्हें स्वर्ग (जन्नत) या नर्क (जहन्नम) में स्थान दिया जाएगा.
4. ईसाई धर्म
ईसाई धर्म में आत्मा के मरने के बाद की अवधारणा जन्नत (स्वर्ग) और जहन्नम (नरक) से जुड़ी है. ईसाई धर्म के अनुसार, व्यक्ति की आत्मा उसके जीवन में किए गए अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क में जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)