हम बचपन से देखते आ रहे हैं कि भूत-प्रेत ज्यादातर महिलाएं ही होती हैं.ऐसे में सवाल ये है कि ये महिलाएं ज्यादातर भूत-प्रेत क्यों होती हैं? भारत में भूत-प्रेतों के किस्से और उनसे जुड़े अंधविश्वास सदियों से समाज का हिस्सा रहे हैं. महिला पर भूतों के अटैक के मामले में कई सांस्कृतिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण शामिल होते हैं.भारत में भूत-प्रेतों की कहानियां और उनके बारे में विश्वास लंबे समय से मौजूद हैं. भारतीय समाज में ये मान्यता है कि भूत-प्रेत अक्सर कमजोर, असुरक्षित और तनावग्रस्त व्यक्तियों पर हमला करते हैं.
भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति भी एक महत्वपूर्ण कारण है. पारंपरिक रूप से, महिलाओं को अक्सर घर की चारदीवारी में ही सीमित रखा जाता है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है. अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और अंधविश्वास की ओर धकेल जाती रही हैं.
आखिर महिलाएं ही क्यों होती हैं अक्सर शिकार?
अक्सर महिलाएं सामाजिक और पारिवारिक दबावों के कारण मानसिक तनाव का शिकार हो जाती हैं. इन तनावों के कारण उन्हें अक्सर भूत-प्रेतों के होने का भ्रम हो सकता है यह एक प्रकार का मानसिक विकार होता है जिसे डिसोसिएटिव ट्रांस डिसऑर्डर कहा जाता है. भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक विश्वासों का गहरा असर होता है. कई बार महिलाओं को लगता है कि उन पर भूत-प्रेतों का साया है, क्योंकि वे धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन नहीं कर पातीं या किसी गलत काम में फंस जाती हैं.
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलता है ये
ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास और भूत-प्रेतों की कहानियां ज्यादा प्रचलित होती हैं. यहां महिलाओं पर भूत-प्रेतों के अटैक के मामले अधिक सामने आते हैं क्योंकि शिक्षा और जागरूकता की कमी होती है. शहरी इलाकों में भी ऐसे मामलों की कमी नहीं है, लेकिन यहां लोग मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देते हैं.
बता दें कि महिलाओं पर भूत-प्रेतों के अटैक के मामलों के पीछे कई कारण होते हैं जिनमें सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक और धार्मिक कारक शामिल हैं. इन सभी कारणों को समझना और समाज में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है ताकि इस प्रकार के अंधविश्वासों को कम किया जा सके और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सके.