Advertisment

Soul Facts : पूरब दिशा की ओर क्यों जाती हैं आत्माएं? श्मशान घाट से जुड़ा है ये सच!

कभी आपने सोचा है कि आखिर शमशान घाट पूरब में ही क्यों होता है? अक्सर ग्रामीण इलाकों में देखा जाता है कि शमशान घाट पूरब में होता है. आखिर इसके पीछे का कारण क्या है?

author-image
Ravi Prashant
New Update
Soul facts

सोल फैक्ट्स (NN)

Advertisment

भारत में श्मशान घाटों की स्थिति और उनका निर्माण सदियों पुरानी परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार होता है. श्मशान घाटों को आमतौर पर पूरब दिशा में बनाने की परंपरा का पालन किया जाता है. ये परंपरा हमारे समाज और धार्मिक मान्यताओं में गहरे तक जुड़ी हुई है. इस खबर में हम जानेंगे कि आखिरकार श्मशान घाट को पूरब दिशा में बनाने के पीछे के क्या कारण हैं और इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयाम क्या हैं?

आखिर पूरब दिशा ही क्यों?

हिंदू धर्म में दिशाओं का विशेष महत्व है. हिंदू समुदाय में पूरब दिशा को पवित्र माना जाता है. पूरब दिशा उगते हुए सूर्य की दिशा होती है सऔर सूर्य को जीवन का प्रतीक माना जाता है. पूरब दिशा को 'ईशान कोण' भी कहा जाता है, जो कि देवताओं की दिशा मानी जाती है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्मशान घाट को पूरब दिशा में रखने से मृत आत्मा का पुनर्जन्म और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है.

हिंदू धर्म के शास्त्रों में जिक्र है कि व्यक्ति की आत्मा को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाने के लिए पूरब दिशा में यात्रा करनी चाहिए. इसलिए, जब शव को जलाया जाता है, तो उसे पूरब दिशा की ओर मुख करके रखा जाता है, जिससे उसकी आत्मा को ईश्वर की ओर जाने में सहायता मिल सके.

इसलिए जरुरी होती है पूरब दिशा?

हिंदू समाज में श्मशान घाटों का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है. ऐसा माना जाता है कि पूरब दिशा में श्मशान घाट बनाने से शुद्धिकरण होता है. यह जीवन और मृत्यु के चक्र का संतुलन बनाता है, जिसमें जन्म और मृत्यु दोनों ही पूरब दिशा से जुड़े हुए माने जाते हैं. अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली अग्नि, सूर्य की ऊर्जा का प्रतीक है, जो जीवन और मृत्यु के बीच के संक्रमण को शुद्ध और पवित्र बनाती है.

ये भी पढ़ें- एक्सीडेंट में मारे गए लोग बन जाते हैं भूत, वैज्ञानिकों ने सामने लाया ये हैरान करने वाला सच!

 शुद्धिकरण और ऊर्जा का है ये प्रतीक

कई क्षेत्रों में श्मशान घाटों को पूरब दिशा में बनाने का प्राकृतिक कारण भी होता है. यह दिशा सूर्य की किरणों का पहला स्पर्श प्राप्त करती है, जो शुद्धिकरण और ऊर्जा का प्रतीक है. इसके अलावा, भारतीय वास्तुशास्त्र में भी पूरब दिशा को पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना गया है. श्मशान घाटों को इस दिशा में बनाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि मृत शरीर की अंतिम क्रियाओं के समय सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे.

soul facts Hindu soul thoughts Hindu religion soul
Advertisment
Advertisment