माउंट कैलाश, जिसे कैलाश पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित एक पवित्र पर्वत है. इस पर्वत पर हिंदुओं द्वारा पूजे जाने वाले देवों के देव महादेव का निवास स्थान है. शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव यहां अपनी पत्नी पार्वती के साथ निवास करते हैं. इस पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील को भी अत्यंत पवित्र माना जाता है. ये माना जाता है कि इस झील में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि यहां महादेव निवास करते हैं. इसीलिए इस पर्वत पर अब तक कोई नहीं चढ़ पाया है. अगर जिसने भी यहां चढ़ने की कोशिश की, वो लौटकर वापस आ चुका है.
रोक देती हैं कोई शक्तियां
लेकिन यह वापस क्यों आता है? जैसा कि हम जानते हैं कि यह चोटी माउंट एवरेस्ट से बहुत छोटी है. कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग 22,000 फीट (6,638 मीटर) है जबकि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,849 मीटर है. हजारों लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं लेकिन कोई भी इस पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया? लोगों का दावा है कि जिसने भी चढ़ने की कोशिश की, वह मारा गया या डर के मारे भाग गया.
वैज्ञानिकों का कहना है कि माउंट एवरेस्ट की तुलना में यहां का मौसम बिल्कुल अलग है. कैलाश पर्वत का मौसम इतना कठिन होता है कि इस चोटी पर चढ़ना नामुमकिन है. हर वक्त पर्वत के ऊपर तेज ठंडी हवाएं चलती हैं, जो सबसे बड़ी बाधा होती हैं. यहां मौसम एक सामान्य जैसा होता ही नहीं है. इतना आप समझ लीजिए कि पर्वत पर ऐसा मौसम होता है कि कोई इंसान उसे झेल नहीं सकता है. साथ ही जिसने चढ़ने की कोशिश की, उन्होंने दावा किया कि कोई शक्ति है, जो आगे बढ़ने से रोकती हैं.
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पर्वत पर चढ़ना है बैन
इसके अलावा सरकार ने भी पर्वतारोहण पर प्रतिबंध लगा रखा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पर्वत की चोटी पर चढ़ना अपवित्र माना जाता है. कई पर्वतारोहियों ने इस पर्वत के रहस्यों को जानने की कोशिश की, लेकिन सभी ने इसे एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण और रहस्यमय स्थान पाया.
हालांकि, कैलाश पर्वत की तीर्थ यात्रा, जिसे कैलाश मानसरोवर यात्रा कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है. हर साल हजारों तीर्थयात्री इस यात्रा में भाग लेते हैं और मानसरोवर झील में स्नान करते हैं लेकिन लोगों की पहुंच बस इस झील तक ही रही है.