भारत में ना जानें कितने पुरुषों के साथ रेप होता है. लोगों को आज भी इस बारें में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि इसके लिए ना तो कोई कानूनी मान्यता है और ना ही इसका कोई रिकॉर्ड होता है. महिलाओं के रेप के बारें में तो पूरा देश बात करता है. वहीं पुरुषों के रेप के बारे में तो लोगों को बात करना दूर लोग इसके बारे में जानते तक नहीं है. हाल ही में कोलकत्ता रेप मर्डर केस में पूरा देश डॉक्टर के लिए आवाज उठा रहा है. वहीं अगर हम अमरीका के आंकड़ों की बात करें तो एक अनुमान के अनुसार वहां 19.3 प्रतिशत महिलाएं और 1.7 प्रतिशत पुरुष ऐसे हैं जो कभी न कभी बलात्कार का शिकार हुए. महिलाओं की तरह ही पुरुषों को भी मानसिक दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
ये है आंकडें
भारत में कितने पुरुषों के साथ रेप होता है, इसके कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं. हालांकि, कुछ स्टडीज और रिसर्च बताती हैं कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि भारत में कितने पुरुषों के साथ रेप होता है, इसके कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं. हालांकि, कुछ स्टडीज और रिसर्च बताती हैं कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी रेप का शिकार होते हैं.
पिछले साल अमेरिकी साइंस जर्नल में छपी एक स्टडी में अनुमान लगाया गया था कि 27% पुरुष और 32% महिलाओं ने अपने जीवन में कभी ना कभी यौन उत्पीड़न का सामना किया है. जर्नल में एक स्टडी का हवाला देते हुए बताया गया था कि हर 33 में से 1 पुरुष के साथ या तो बलात्कार होता है या बलात्कार की कोशिश होती है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) ने 2010 से 2012 के बीच एक स्टडी की थी. इसमें सामने आया था कि हर 17 में से 1 पुरुष ऐसा है जिसको सेक्स करने के लिए मजबूर किया जाता है.
पुरुषों को होती है ये तकलीफ
बलात्कार के शिकार पुरुषों में भारी चिंता, बेचैनी, अवसाद और भुलाने के लिए अत्यधिक शराब और हानिकारक ड्रग्स लेना शुरु कर देते है. जैसा कि आत्महत्या जैसे मामलों में होता है, शर्मिंदगी को झेलने के बजाय, ऐसे मामलों में खुद को चोट पहुंचाने की इच्छा होती है.
पुरुषों को केवल यौन हिंसा का ही सामना नहीं करना पड़ता है बल्कि इसके साथ ही इसे छिपाए रखने का भी संघर्ष करना पड़ता है. जिससे तेजी से खत्म होते आत्मविश्वास और खुद की रक्षा में सक्षम समझे जाने वाले एक पुरुष के रूप में अपनी पहचान को किसी तरह बचाए रखा जा सके.
क्या है कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अनुसार, बलात्कार के शिकार एक पुरुष को इस बात को साबित करना पड़ सकता है कि किसी ने उसके साथ संबंध बनाए थे. वह इसके बाद ही यह उम्मीद कर सकता है कि उस पर हमला करने वाले को सजा मिलेगी.
पीड़ित व्यक्ति इंसाफ के लिए जब धारा 377 का सहारा लेता है तो उसके सामने इसी कानून के जाल में फंसने का खतरा होता है, क्योंकि यह धारा एक ऐसे पुरुष को कोई राहत नहीं देती, जिसे बिना सहमति के समलैंगिक गतिविधि में शामिल होने पर मजबूर किया गया हो.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)