Assembly Election Result: एक वक्त पर देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी रह चुकी कांग्रेस इन दिनों अपने अस्तित्व से जूझ रही है. मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी और अब पूर्वोत्तर इलाकों में कांग्रेस लगातार अपनी जमीन खो रही है. तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे तो कुछ यही इशारा कर रहे हैं, कि कांग्रेस को अब सख्त एक संजीवनी की जरूरत है. कांग्रेस ने अपनी जड़ें जमाने के लिए भले ही भारत जोड़ो यात्रा जैसे सबसे बड़े अभियान को चलाया, लेकिन चुनावी नतीजे तो यही बता रहे हैं कि, इस यात्रा का कांग्रेस को कई फायदा नहीं हुआ है. कन्याकुमारी से कश्मीर तक चली इस यात्रा में बड़ा पड़ाव पूर्वोत्तर रहा, लेकिन नतीजों को पक्ष में करने में ये विफल साबित हुआ.
2 मार्च गुरुवार को तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव नतीजे आए. इन नतीजों से राजनीतिक दलों की स्थिति का आंकलन किया जाता है. खास तौर पर आने वाले चुनावों पर पिछले चुनाव परिणामों की छाया भी देखी जाती है. बहरहाल कांग्रेस लगातार अपने राजनीतिक जमीन को तलाशने में जुटी हुई है. चुनाव-दर-चुनाव पार्टी नुकसान का मुंह ही देख रही है. तीन राज्यों के परिणाम भी कांग्रेस के लिए कोई अच्छा संकेत लेकर नहीं आए.
तीन राज्यों के चुनाव नतीजों के बीच त्रिपुरा में जहां बीजेपी ने दोबारा सत्ता हासिल करने की ओर कदम बढ़ाए तो वहीं कांग्रेस को यहां खाता खोलने के लिए भी काफी पसीना बहाना पड़ा. हालांकि नतीजा फिर भी सकारात्मक नहीं आया है. वहीं नागालैंड में भी कांग्रेस का कमोबेश यही हाल रहा. यहां की 60 सीट में 55 पर रुझान आ चुके, इन रुझानों में एक भी सीट पर कांग्रेस आगे नहीं है. जो बताता है कि, ऊंट किस करवट बैठेगा.
वहीं मेघालय की बात करें तो यहां भी कांग्रेस के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है. प्रदेश में कॉनरॉड संगमा के दल एनपीपी ने सबसे बड़े दल के रूप में बढ़त बनाई हुई है. उनकी पार्टी 23 से ज्यादा सीट पर आगे है. वहीं दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस आगे है, टीएमसी ने 8 सीट पर बढ़त बनाई है. लेकिन कांग्रेस का हाल यहां भी बुरा है रुझानों में पार्टी सिर्फ 6 सीटों पर बहुत कम अंतर से आगे है. नतीजों में कुछ भी हो सकता है.
हो सकता है यहां कांग्रेस इक्का दुक्का सीट जीतने में सफल भी हो जाए, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य यहां पूरा होता नहीं दिख रहा. तीन में से दो राज्यों में खाता खोलने के लिए संघर्ष कर रही पार्टी के भविष्य को लेकर अंदाजा लगाना काफी सहज है.
क्या कहती है कांग्रेस
पूर्वोत्तर के इस चुनाव से कांग्रेस को लेकर जो तस्वीर सामने आ रही है उसको लेकर पार्टी ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखती है. पार्टी की नेता सुप्रिया श्रीनेत की मानें तो इन नतीजों के आधार पर कांग्रेस को आंकना गलत है. ये नतीजे पूरे देश के नतीजों से मेल खाएं ये जरूरी नहीं है.
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मंथन और मेहनत
कांग्रेस के लिए अब ये बहुत जरूरी है कि हार के कारणों को लेकर मंथन हो और इसके साथ ही आगे के लिए बूथ स्तर पर मेहनत हो. पार्टी के दिग्गज नेताओं को कमान संभालना होगी और बीजेपी की ही तरह चुनावों में तूफानी प्रचार से समां बांधना होगा. यही हाल रहा तो मिशन 2024 में कांग्रेस एक एतिहासिक हार का मुंह भी देख सकती है.
HIGHLIGHTS
- तीन राज्यों के चुनाव में बिगड़ा कांग्रेस का खेल
- दो राज्यों में तो खाता खोलना भी हुआ मुश्किल
- मेघालय में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई पार्टी
Source : News Nation Bureau