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विधानसभा चुनावों में राम के नाम से ही बनेगा बीजेपी का काम? जानें पूरा गणित

बीजेपी जब इस संकट में फंसी तो उसे श्री राम नजर आए और उसने बाबरी मस्जिद को मुद्दा बनाकर हिंदुत्व पर जोर दिया जो कि अगड़ों पिछडों से अलग सबको जोड़कर अपने साथ ले जाने वाला रास्ता बन गया, यही से बीजेपी का स्वर्णिम दौर की शुरुआत होती है.

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Deepak Pandey
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राम के नाम से ही बनेगा बीजेपी का काम( Photo Credit : फाइल फोटो)

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भारतीय जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी बनी जो कि 1980 से 1990 तक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थी, लेकिन नेशन फ्रंट की वो सरकार जिसको वाम संगठनों और दक्षिणपंथी धड़ों का समर्थन था उसने मंडल कमीशन को लागू कर भाजपा को दो राहे पर खड़ा कर दिया था. ऐसे में अगर बीजेपी तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह का समर्थन करती तो अपने मूल वोटर यानी अगड़ों की नाराजगी झेलती और समर्थन नहीं करती तो सबसी बड़ी तादाद के वोटर ओबीसी से दुश्मनी मोल लेती.

बीजेपी जब इस संकट में फंसी तो उसे श्री राम नजर आए और उसने बाबरी मस्जिद को मुद्दा बनाकर हिंदुत्व पर जोर दिया जो कि अगड़ों पिछडों से अलग सबको जोड़कर अपने साथ ले जाने वाला रास्ता बन गया, यही से बीजेपी का स्वर्णिम दौर की शुरुआत होती है. सबसे अहम इसमें यूपी में पार्टी की कमान एक पिछड़े लेकिन बेहद मजबूत चेहरे कल्याण सिंह के हाथ में दी जाती है तो केंद्र में अटल, आडवाणी जैसे दिग्गज थे.

आडवाणी की रथ यात्रा और नेशनल फ्रंट से समर्थन वापस लेने की घोषणा ने जहां बीजेपी को हिंदुओं की पार्टी के रूप में स्थापित किया, वहीं बाबरी विध्वंश के समय कल्याण सिंह के इस्तीफे ने बीजेपी के सफलतम भविष्य की नींव रख दी. 

हालांकि, इसके बाद गठबंधन के साथ बीजेपी की सरकार केंद्र और राज्य दोनों में आई, लेकिन पार्टी अपने राम मंदिर के वादे को पूरा नहीं कर सकी लेकिन पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में मंदिर का ज़िक्र लगातार किया, जिसका असर यह हुआ कि पार्टी पर लोगों का भरोसा कम हुआ और यूपी में सपा बसपा मजबूत राजनीतिक दल बनकर उभरे. 

लेकिन एक बार फिर कांग्रेस पर तमाम आरोपों के बीच और दिल्ली में आंदोलन के बीच बीजेपी के सबसे बड़े हिंदुत्व के चेहरे नरेंद्र मोदी जो कि तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे उनका राष्ट्रीय पटल पर उदय हुआ और 2014 के चुनाव प्रचार से पहले उन्होंने फिर मंदिर का मुद्दा जोर शोर से उठाया और पार्टी ने एक बार फिर अपने घोषणा पत्र में राम मंदिर का ज़िक्र किया लेकिन कानूनी रूप से बनवाने की बात कही, साथ ही मुज़फ्फरनगर दंगे के चलते बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड 71 सीट्स भी जीती व 2014 में केंद्र में  पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई.

इसका असर यह हुआ कि बीजेपी ने 2017 में यूपी में रिकॉर्ड जीत हासिल की, 312 सीट हासिल कर यूपी के सबसे बड़े हिंदुत्व के चेहरे योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया... चूंकि राम मंदिर का मामला कोर्ट में चल रहा था. वहीं, केंद्र में दोबारा सरकार आने के बाद 9 नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में विवादित ज़मीन पर मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसको लेकर केंद्र और यूपी की दोनों सरकारों ने इसको अपनी उपलब्धि बताया और भव्य राममंदिर का शिलान्यास खुद प्रधानमंत्री मोदी ने किया तो मुख्यमंत्री ने अयोध्या में दीपोउत्सव मनाने की शुरुआत की. कुल मिलाकर 2017 से बीजेपी ने आयोध्या को राजनीति का केंद्र बनाने की कोशिश की और अब 2022 चुनाव से ठीक पहले यह नारा दिया जाने लगा कि आयोध्या तो झांकी है काशी मथुरा बाकी है. यानी पार्टी की और से अपने बहुसंख्यक वोटर्स को फिर एक बार एक एजेंडे पर ले जाने की कवायद जोर शोर से हो रही हैं. 

Source : Nishant Rai

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